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( २६७ ) .९ नीमड़ा, आम्र आदि वनस्पतिकाय में
__ अह भंते ! निबंबजंबुकोसंबतालअंकोलपीलुसेलुसल्ल मोयइमालुयपडलपलास करंज पुत्तजीवगरिट बहेड गइरियग भल्लाय उबरियखीरणि धायइ पियाल पूइयणिधाय गरनेण्हयपासिय सीसवअयसि पुण्णायगनागरुक्खसी घण्णअसोगाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो।
-भग श २२ । व २ निम्ब, आम्र, जांबू, कोशंव, ताल, अंकोल्ल, पीलु, सेलु, सल्लकी, मोचकी, मालुक, वकुल, पलाश, करंज, पुत्रजीवक, अरिष्ट, बड़ेढा, हरड़, भिलाया, उबेभरिकी, क्षीरिणी, धावड़ा, प्रियाल, पूतिनिम्व, सेण्हय, पासिय, सीसम, अतसी, नागकेसर, नागवृक्ष, श्रीपर्णी, अशोक-इनके मूल, कंद, स्कंध, त्वचा शाखा के, प्रबाल, पत्र, पुष्प, फल, बीजमें काययोग होता है। .१० अगस्तिक भादि घनस्पतिकाय में
अह भंते ! अस्थि यातिदुय बोरकविठ्ठअंबाड गमाडलिंगबिल्लामलग फणसदाडिम आसत्थ उंबरवडणग्गोहनंदिरुक्खपिप्पली सतरपिनक्खुरुक्ख काडंबरिय कच्छंभरिय देवदालि तिलगलउय छत्तोसिरीस सत्त वण्णदहिवणं लोद्धधवचंदण अज्जुण णीवकुडुग कप्पदाणं एएसिणं जे जीषा मूलत्ताए वक्कमंति तेणं भंते ! एव एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा सालघग्गसरिसा णेयचा जावं बीयं।
-भग० २ २२ । व २ अगस्तिक, तिंदुक, बोर, कोठी, अम्बाडग, बीजोरु, बिल्ब, आमलक, पनस, दाडिम, अश्वत्थ (पीपल ), उंवर, वड, न्योग्रोध, नन्दिवृक्ष, पीपर, सतर, प्लक्षवृक्ष, काकोदुम्बरी, कस्तुम्भरि, देवदालि, तिलक, लकुच, छत्रोध, शिरिष, सप्तवर्ण, दधिपण, लोधक, धव, चन्दन, अर्जुन, नीव, कुटज, कदम्ब-इनके मूल, कन्द; स्कंध, त्वचा, शाखा में, प्रवाल पत्र, पुष्प, फल, बीज काययोगी होते हैं । .११ बेंगन आदि वनस्पतिकाय में ।
अह भंते ! वाईगणिअल्लइ पोंडइ एवं जहापण्णवणाए गाहाणुसारेणं णेयव्वं जाव गंजपाउ लावासि अंकोल्लाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एस्थवि मूलादीया दस उद्देसगा तालघग्गसरिसा णेयव्या जाव बीयंति निरषसेसं जहा वंसवग्गो।
--भग० श २२ । व ४ ___ बेंगन, अल्लइ, ( सल्लई ) पोंडइ, [ थंडकी, कच्छुरी जासुमणा, रूपी आढकी, नीली,
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