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________________ ( २६४ ) नीलेशी कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय में काययोग- वचनयोग- मनोयोग होता है । प्रथम समय नीललेशी कृतयुग्मकृतयग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय में काययोग होता है। आठ उदेशक में काययोग होता है । . ५ कापोतलेशी कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय में योग प्रथम समय एवं काउलेस्सस षि । ××× । एवं तिसु षि उद्देसएसु, सेसंतंचेव " इसी प्रकार कापोतलेशी कृतयुग्मकृतयग्मादि सोलह महायुग्मों में संशी पंचेन्द्रिय में काययोग-वचनयोग-मनयोग होता है । प्रथमसमय कापोतलेशी कृतयुग्मकृतयुग्म आदि महायुग्मों में संज्ञी पंचेन्द्रिय में काययोग होता है। आठ उद्देशक में काययोग होता है । *६ तेजोलेशी कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय में योग प्रथम समय एवं ते लेसेसुचि सयं । XXX । एवं तिसुषि उद्देसरसु, सेसंतंचेव । • भग० श ४० । श ५ "" 23 " तेजोलेशी कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय के काययोग- वचनयोग- मनयोग होता है । सोलह महायुग्म में तीनों योग होते हैं । प्रथमसमय तेजोलेशी कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय में काययोग होता है-वचनयोग व मनोयोग नहीं होता है । आठ उद्देशक में व सोलह महायुग्मों में काययोग होता है Jain Education International .७ प्रथमसमय कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय में योग - ( पढमसमय कडजुम्मकडजुम्म सण्णि पंचिंदिया ) सेसं जहा बेहं दियाणं पढमसमइयाणं जाव अनंतखुत्तो Xxx । एवं सोलससु वि जुम्मेसु परिमाणं तव सवं । एवं एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा तद्देव । -भग० श ४० | श ६ प्रथमसमयोत्पन्न संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव में बेइन्द्रिय की तरह मनोयोगी - वचनयोगी नहीं होते हैं -- काययोगी होते हैं । सोलह महायुग्मों में काययोगी होते हैं । आठ उद्देशक में काययोगी होते हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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