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________________ ( २६ ० ) ( कण्हलेस कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया ) एवं जहा ओहि उद्देस XXX सेसं तहेब जाव अनंतखुत्तो । एवं सोलस वि जुम्मा भाणियव्का । भग० श ३५ । श २ कृष्णलेशी कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय आदि सोलह महायुग्म में काययोग होते है । • ६८.२ प्रथम समय कृष्ण लेशी कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय में योग ( पढम-समय- कण्हलेस - कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया ) एवं जहा ओहियस एक्कारस उद्देगा भणिया तहा कण्हलेस्सप बि एक्कारस उद्देलगा भाणियव्वा । -भग० श ३५ । श २ औधिक शतक के ग्यारह उद्देशक के समान कृष्ण लेशी शतक में भी ग्यारह उद्देशक कहना | उनमें काययोग होता है । • ६८.३ नील लेशी महायुग्म में एकेन्द्रिय में • ६८.४ कापोत लेशी एवं णीलले सेहि वि सयं कण्हलेस्ससयसरिदि, एक्कासंस उसगा तय | ------ एवं काउलेस्सेहि वि सयं कण्हलेस सयसरिसं । होता है । 33 -भग० श ३५ । श ३।४ कृष्ण लेश्या शतक के समान नील लेश्या - कापोत लेश्या सोलह युग्म में काययोग *६६ भवसिद्धिक महायुग्म में योग '६६·१ भवसिद्धिक कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय में योग (भवसिद्धिय कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ) जहा ओहियसयं तद्देष । raj एक्कारससु बि उसएसु । Jain Education International भवसिद्धिक कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय में काययोग होता है । ही ग्यारह योग (काययोग) होते हैं । सोलह महायुग्म में काययोग होता है । ·६६२ कृष्णलेशी भवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म एकेन्द्रिय में योग - भग० श ३५ श ( कण्हलेस - भवसिद्धिय कडजुम्म कडजुम्मएगिदिया) एवं कण्हलेस - भवसिद्धियएगिदिएहिं बि लयं बिइयस्य कण्हलेस्ससरिसं भाणियन्वं । -भग० श ३५ / श ६ For Private & Personal Use Only ग्यारह उद्देशक में www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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