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________________ ( २३२ ) तथा उपपात के अतिरिक्त निम्नलिखित बीस विषयों से विवेचन हुआ है : १- स्थिति ४ - शरीरावगाहना ७- दृष्टि १० - उपयोग १३ - इन्द्रिय १६ – वेद १९ - कालादेश तथा २ - संख्या ५- संस्थान ८- ज्ञान ११ - संज्ञा १४- समुद्घात १७ - कालस्थिति २०- भवादेश ३- संहनन ६- लेश्या - योग ९ १२- कषाथ १५ - वेदन १८ - अध्यवसाय हमने योग की अपेक्षा से पाठ ग्रहण किया है। गमकों का विवरण नीचे में देखें । .९६ किसी एक योनि से स्व/ पर योनि से उत्पन्न होने योग्य जीवों में कितने योग १ . ९६.१ रत्नप्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : १ - इस विवेचन में निम्नलिखित नौगमकों की अपेक्षा से वर्णन किया गया है : (१) उत्पन्न होने योग्य जीव की औधिक स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की औधिक स्थिति | (२) उत्पन्न होने योग्य जीव की औधिक स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की जघन्य काल स्थिति । (३) उत्पन्न होने योग्य जीव की औधिक स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की उत्कृष्ट काल स्थिति । Jain Education International (४) उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीब की औधिक स्थिति | (५) उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य स्थिति यथा उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य काल स्थिति | (६) उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य काल स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की उत्कृष्ट काल स्थिति । (७) उत्पन्न होने योग्य जीव की उत्कृष्ट काल स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की औधिक काल स्थिति । (८) उत्पन्न होने योग्य जीव की उत्कृष्ट काल स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की जघन्य काल स्थिति । (६) उत्पन्न होने योग्य जीव की उत्कृष्ट काल स्थिति धथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की उत्कृष्ट काल स्थिति । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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