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________________ ( २११ ) .५० वैक्रियमिश्रकाययोगी में वेउब्धियमिस्सकायजोगीणं भण्णमाणे xxx वेउब्धियमिस्सकायजोगो xxx | वेउब्धियमिस्सकायजोगि-मिच्छाइट्ठीणं xxx वेउब्धियमिल्सकायजोगो xxx। वेउब्धियमिस्तकायजोगि-सासणसम्माइट्ठीणं xxx वेउब्धियमिस्सकाय जोगो xxx। उब्धियमिस्सकायजोगि-असंजदसम्माइट्ठीणं xxx वेउब्धियमिस्सकायजोगो xxx। -षट • खं० १, १ । पु २ । पृ० ६६४.६६ वैक्रियमिश्र काययोगी जीव की वक्तव्यत्ता में वैक्रियमिश्र काययोगी का प्रतिपादन करना चाहिए। वैक्रियमिभ काययोगी मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में वैक्रियमिश्र काययोग होता है । वैक्रियमिश्र काययोगी सास्वादान सम्यग्दृष्टि में वैक्रियमिश्र काययोग होता है तथा वैकिय मिश्र काययोगी असंयत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में वैक्रियमिन काययोग होता है। .५१ आहारक काययोगी में आहारककायजोगाणं भण्णमाणे xxx आहारकायजोगो x x x | -षट् • खं• १, १ । पु २ पृ० ६६७ आहारक काययोगी भी वक्तव्यत्ता में आहार काययोग का प्रतिपादन करना चाहिए। यह योग प्रमत्त संयत गुणस्थान में ही होता है । .५२ आहारक मिश्रकाययोगी में आहारमिल्सकायजोगाणं भण्णमाणे xxx आहारमिस्सकायजोगो xxx। -षट • खं० १, १ । पृ २ । पृ० ६६८ आहारकमिश्र काययोगी की वक्तव्यत्ता में आहारकमिश्र काययोग का प्रतिपादन करना चाहिए । यह योग भी प्रमत्तसंयत गुणस्थान में ही होता है। .५३ कामणकाययोगी में कम्मइयकायजोगाणं भण्णमाणे xxx कम्मइयकायजोगो xxx। कम्मइयकायजोग-मिच्छाइट्ठीणं xxx कम्मइयकायजोगो xxx। कम्मइयकायजोग-सासणसम्माइट्ठीणं xxx कम्मइयकायजोगो xxx। कम्मइयकायजोगअसंजदसम्माइट्ठीणं xxx कम्मइयकायजोगो xxx। कम्मइयकायजोगसजोगिकेवलीणं x xx कम्मइयकायजोगो xxx। -षट ० खं १, १। २ । पृ० ६६८-७२ कामणकाययोगी की वक्तव्यत्ता में कार्मणकाययोग का प्रतिपादन करना चाहिए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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