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________________ ૫૧૮ आगमसद्दकोसो दुवियड्ड [दुर्विदग्ध] दु:शिक्षित, शान- पोटुं|| भुस छेते, ५२भा અભિમાન કરનાર ठा. ४३०; नंदी. ४७; दुब्बियड [दुर्विवृत्त] वस्त्रहित, नन दुबण्ण [दुर्वर्ण) ५२५ युत ठा. ४५४; जीवा. १८५; दुब्बियह [दुर्विदग्धाममेवो, 'हाधारीगो' दुव्वत्र [दुर्वर्ण] शुभी '७५२' पण्हा. १६; पण्हा. १९; पिंड. ३२७; दुबिसय [दुर्विषय] हुट विषय दुबय [दुव्रत]पोटामाय२९४२नार, मिथ्यात्व जंबू. ३७; યુક્ત નિયમ પાલક दुब्बिसह [दुर्विषह] भु१४ीया सहन थाय तेवू सूय. ३६७,८०४; ठा. ३४९; उत्त. ७८९; विवा. ७,२०; दसा. ३५; दुब्बिसोज्झ [दुर्विशोध्य] भुनाथी शुद्धि री दुब्बसु [दुर्वसु (सुभेट भव्य-मोक्षे ४वाने | શકાય તેવું યોગ્ય) દુષ્ટ વસુ-અભવ્ય-મોક્ષે જવાને માટે उत्त, ८७३; અયોગ્ય જીવ दुविहिय [दुर्विहित] M N 3e आया. १०४; दस. ५१८; दुबह [दुर्वह] हुथी. वन ४२वा योग्य दुबुट्टि [दुवुष्टि] ५२५१२साह, भावहुं उत्त. ६४९; भग. १९९; दुबाई [दुर्वादिन] प्रियता दुसंगहिय [द्विसङ्घहीत] म संAS :२८. दस. ४३४; वव. ७६; दुविधाय [दुर्विघात] अष्टे रीनाथाय ते, दुसण्णप्प [दुःसंज्ञाप्य] दु: शने समस ઘાત કરવો મુશ્કેલ યોગ્ય पण्हा, १७,२०, ठा. २१७; दुविचिंतिय [दुर्विचिन्तित हुष्टतिवन। रेल, दुसद्द [दुःशब्द] ५२ अप्रिय सवा४ અયોગ્ય વિચારણા आया. १४९; आव. १५,३८; दुसमइय [द्विसामयिक] बे समयन दुबिजाणय [दुर्विज्ञेय भुमीथीनी शाय पन्न. ३९३,६१२,६१३; તેવું दुसमयट्टिइय [द्विसमयस्थितिक] बे समयनी पण्हा , ७; સ્થિતિવાળું दुबिणीय [दुर्विनीत] विनित, उद्धत उत्त. ११४४; पण्हा. १६; दुसमयट्टिईय [द्विसमयस्थितिक] मी '७५२' दुब्धिण्णाय [दुर्विज्ञात) मोटी ते One, || अनुओ. १२९,१३१,१३८,२७२; જાણવાનું મુશ્કેલ दुसमयद्वितीय (दिसभयस्थितिक) हुमो ७५२' आया. १४६; पन्न. ३९१; दुविभज्ज [दुर्विभाज्य] नो विमा ४२वो | । दुसमयसिद्ध [द्विसमयसिद्ध] ठेने सिद्ध थये में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016025
Book TitleAgamsaddakoso Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgamdip Prakashan
Publication Year2001
Total Pages562
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size9 MB
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