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[सुत्तंकसहिओ]
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ત્રણ સ્થાનેથી જોવાય છે
पन्न. ३५१ उत्त १०३१
छम्पासिय [षाण्मासिक] ७भासी त५ छब्ब [दे.पात्र विशेष, पाटो
सूय. ६७०; . . सम. २०; आया. ३७७; पिंड. २७९,५६१; भग. ११४,९६५, उव, १९; छन्भंग [षड्भङ्ग] ७६
निसी. १३७४,१३७९ थी १३८३,१३८८, भग. २८६;
१३९९; वव. ५,१० थी १४; पन्न ५६१ थी ५६३,५६५,५६६,५७१;
छम्मासिया [षाण्मासिक भिक्षुनी ७४ी प्रतिमा छन्भाग [षड्भाग] ७४ो माग
नाया. ३९;
वव, २६५, उव. ५०; पन्न. २३५;
दसा. ४८,५०; जंबू. ११;
छय [छत्र) छत्र छन्भामरी [षट्भ्रामरी] मे ४ातनी वी॥ देविं. ५५,५६;
नाया. १८५, राय. २३; छु [त्सर] तलवारनी भु छन्भाय [षड्भाग] ७8ो माग
पण्हा. १९; उव. १२; उत्त. १५२६;
जीवा. १८५; छमा [क्षमा) पृथिवी, भूमि
छुरुप्पगय [त्सुरुप्रगत] तसवारनी भुने दस. ५०८;
પકડવાનો ઉપાય छमास [षण्मास] छ भासनो समूह
सम. १५०;
पण्हा. २३; सूर. २२;
चंद. २६; छुप्पवाद [त्सुरुप्रवाद] तलवार ३२वानी छमासिय [षाण्मासिक] छभास संवि કળા आया ३४४;
उव. ५०; छम्म [छद्म] शुमो 'छउम'
छुप्पवाय त्सुरुप्रवाद] ७५२' महान. १५०;
नाया. २५; राय, ८३; छम्मालोयण [छद्म-आलो यण] ७५स्थ- | छुह [त्सक] शुमो 'छु' । અસર્વજ્ઞની આલોચના વિશેષ
नाया. १७२; जीवा. १६९; महानि. १०२;
छल [षष्] ७-संध्या विशेष छम्मास [षण्मास] छ भासनो समुह सूर. १०१; जंबू. ३६०; अंत. २७,५२,५३,५७;
| छलंस [षडम्र] ७ प्रतिनी सत्ता सूर. २१,२३,२५,२८,३०,३३,३७;
सूय. ६४१,
ठा, ७३४; जंबू. ३८,२५८,२५९,२६८;
भग, २९२,२९३, जीवा. २०५; छम्मासंताय [षण्मासन्ताय] भास पर्यंतन || जंबू. ७८,८८; जीय. ६०;
छलायतण [षडायतन] ७ वाहन में छम्मासभत्तिय [षण्मासभक्तिक] छ भासन। || ोषन स्थान ઉપવાસનું વ્રત
सूय. ५३९; पण्हा. ३४;
छलिय [छलित] 342 माहिथी ये छम्मासावसेसाउय [षण्मासावशेषायुष्क] ७ || नाया. १३६; भत्त. १४७; भासन आयुटने शेष पाहीजेते || छल्लिक्खाय [छल्लीखाद] छालने पाना२
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