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________________ जैन-लक्षणावली संख्या संकेत प्रन्थ नाम ग्रन्थकार प्रकाशक प्रकाशन काल | ई. १९६२ १८८ । न्यायदी. | न्यायदीपिका अभिनव धर्मभूषण | वीर-सेवा-मन्दिर, दिल्ली ई. १९४५ न्यायवि. न्याविनिश्चय भट्टाकलंकदेव सिंधी जैनग्रंथमाला, कलकत्ता | ई. १६३६ न्यायवि. वि. ,विवरण भारतीय ज्ञानपीठ, काशी | ई. १९४६ १६१ __ , , द्वि. भाग ई. १९५४ १६२ न्यायाव. न्यायावतार सिद्धसेन दिवाकर | श्वे. जैन महासभा, बंवई वि. सं. १९८५ १६३ | न्यायाव.व. न्यायावतार वृत्ति सिद्धषि गणी पउमचरिउ विमलमूरि जैन ग्रन्थ प्रकाशन सभा | ई. १९१४ राजनगर १६५ पद्म. पं. पचनन्दि-पंचविंशति । पद्मनन्दी मुनि जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर १६६ | पथपुराण (भा. १,२, ३) रविषेणाचार्य भारतीय ज्ञानपीठ, काशी | ई. १६४४, १६५६ | परमात्मप्रकाश योगीन्द्रदेव परमश्रुतप्रभावक मंडल, बंबई| वि. सं. १९९३ परमा. वृ. परमात्मप्रकाश वृत्ति ब्रह्मदेव | परीक्षामुख (प्र. र. मा. | माणिक्यनन्द्याचार्य बालचन्द्र शास्त्री, बनारस | ई. १९२८ सहित) पंचव. पंचवस्तुकग्रन्थ हरिभद्र सूरि जैन पुस्तकोद्धार संस्था, बंबई| ई. १९२७ पंचवस्तुकवृत्ति प्रा. पंचसं. | पंचसंग्रह (प्राकृतवृत्ति, | अज्ञात भारतीय ज्ञानपीठ, काशी | ई. १९६० संस्कृतटीका व हि. अनु.) पंचसं. । पंचसंग्रह चन्द्रषि महत्तर आगमोदय समिति, बम्बई | ई. १९२७ | पंचसं. स्वो. पंचसंग्रह वृत्ति पंचसं पंचसंग्रह (प्र. व द्वि. भाग) , मुक्ताबाई ज्ञानमन्दिर डभोई ई. १६३८, १.३७ पंचर्स. स्वो. | पंचसं. वृत्ति १६७ १६८ परीक्षा. २०० पंचव. वृ. । २०५ . २०७|पंचसं. मलय प्रा. मलयगिरि : पंचसं. अमित. पंचसंग्रह (संस्कृत) प्रा. अमितगतिमा . दि. जैन ग्रंथमाला समिति | ई. १९२७ बम्बई अज्ञात जैन आत्मानन्द सभा, वि.सं.१९७० भावनगर हरिभद्र सूरि . । २१० | पंचसू. व्. | पंचसूत्र वृत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016022
Book TitleJain Lakshanavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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