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________________ २२ चौदहवी शताब्दी १०६ अजितसेन १०७ श्रभयचन्द्र ( गो . मं. प्र. टीका ) १०८ नेमिचन्द्र (गो. जी. त. प्र. टी. ) १०६ श्रुतमुनि ( भावत्रिभंगी ) चौदह-पन्द्रहवीं शताब्दी ११० धर्मभूषण पन्द्रहवीं शताब्दी १११ कुमार कवि ११२ गुणरत्न सूरि ११३ जयतिलक ११४ जिनमण्डन सूरि ११५ रत्नकोति ११६ रत्नशेखर ११७ वामदेव सोलहवीं शताब्दी ११८ पूज्यपाद ( उपासकाचार ) ११६ मेघावी १२० श्रुतसागर Jain Education International जैन - लक्षणावली सोलह-सत्रहवीं शताब्दी १२१ शुभचन्द्र ( कार्ति. टी. व अंगप.) सत्रहवीं शताब्दी १२२ राजमल १२३ विनयविजय गणि १२४ शान्तिचन्द्र अठारहवीं शताब्दी १२५ भोजकवि १२६ मानविजय १२७ यशोविजय उपाध्याय विशेष १. दशवैकालिक के कर्ता शय्यम्भव सूरि नन्दीसूत्र गत स्थविरावली के अनुसार सुधर्म गणधर की चौथी पीढ़ी में हुए हैं । २. प्रज्ञापना के कर्ता श्यामार्य उक्त स्थविरावली के अनुसार सुचर्म गणधर की तेरहवीं पीढ़ी में हुए हैं। ३. उपदेशमाला के कर्ता धर्मदास गणि के समय का निश्चय नहीं किया जा सका। वे उक्त ग्रन्थ के टीकाकार जयसिंह (वि. सं. ११३) के निश्चित पूर्ववर्ती है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016021
Book TitleJain Lakshanavali Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1978
Total Pages446
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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