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________________ ८६० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुनाभ-सुप्पबुद्धा सुनाभ पं. अमरकंका नगरी के राजा पद्मनाभ : सुपसिद्ध वि [सुप्रसिद्ध] अति विख्यात । का पुत्र । सुपस्स वि [सुदर्श] सुख से देखने-योग्य । सनिउण वि सनिगण] अतिशय निश्चित | सुपास पुं [सुपार्श्व] भारत में उत्पन्न सातवें गुणवाला। जिन भगवान् । भ० महावीर के पिता का सुनिग्गल वि [सुनिर्गल] चिर-स्थायी । भाई । एक कुलकर पुरुष । भारतवर्ष के भावी सुनीविआ स्त्री [सुनीविका] सुन्दर नीवी तोसरे जिनदेव । ऐरवत क्षेत्र में उत्पन्न एक वस्त्र ग्रन्थिवाली स्त्री। जिनदेव एवं आगामी उत्सर्पिणो-काल में होनेसुनेत्ता स्त्री [सुनेत्रा] पाँचवें वासुदेव की | वाले अठारहवें जिनदेव । भारतवर्ष के भावी पटरानी। दूसरे जिनदेव का पूर्वजन्मीय नाम । सुन्न न [शून्य) बिन्दी । देखो सुण्ण । सुपासा स्त्री [सुपा]ि एक जैन साध्वी । पत्तिया स्त्री ['प्रत्ययिका, °पत्रिका] एक सुपीअ पुं [सुपीत] पाँचवाँ मुहूर्त । जैन मुनिशाखा । सुपुंख पुं [सुपुङ्ख] एक देव-विमान । सुप सक [मृज्] मार्जन या शोधन करना। सुपुंड पुंन सुपुण्ड्र] एक देव-विमान । | सुपुप्फ पुंन [सुपुष्प] एक देव-विमान । सुपइट्ठ वि [सप्रतिष्ठ] न्याय-मार्ग में स्थित । प्रतिज्ञा-शर । अतिशय प्रसिद्ध । जिसकी सुपुरिस पुं [सुपुरुष] सज्जन, साधु पुरुष । स्थापना विधिपूर्वक की गई हो। पुं. भ० सुप्प अक [स्वप्] सोना। महावीर के पास दीक्षा लेकर मुक्ति पानेवाला सुप्प पुन [सूर्प] सूप, छाज । °णह वि [ नख] एक गृहस्थ । अंग विद्या का जानकार पाँचवा सूप के जैसे नखवाला । °णहा, °णही स्त्री [°नखा] रावण की बहिन । रुद्र । भ० सुपार्श्वनाथ के पिता । भाद्रपद मास का लोकोत्तर नाम । पात्र-विशेष । न. सुप्पइट्ट देखो सुपइट्ठ। एक नगर । °भ पुंन. एक देव-विमान । सुप्पट्ठिय देखो सुपइट्ठिय । सुपइट्ठिय वि [सुप्रतिष्ठित] अच्छी तरह | सुप्पइण्णा स्त्री [सुप्रतिज्ञा] दक्षिण रुचक पर प्रतिष्ठा-प्राप्त । रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी । सुपडाय वि [सुपताक] सुन्दर ध्वजावाला। । सप्पइत्तिय न. शीतहारक वस्त्र-विशेष । सुपडिबुद्ध वि [सुप्रतिबुद्ध] सुन्दर रीति से सुप्पंजल वि [सुप्राञ्जल] अत्यन्त ऋजु । प्रतिबोध को प्राप्त । पुं. एक जैन महर्षि । सुप्पडिआणंद वि [सुप्रत्यानन्द] उपकृत सुपडिवत्त वि [सुपरिवृत्त जो अच्छी तरह पुरुष के किये हुए उपकार को माननेवाला । हुआ हो वह। सुप्पडिआर न [सुप्रतिकार प्रत्युपकार । सुपणिहिय वि [सुप्रणिहित] सुन्दर प्रणिधान सुप्पडिबुद्ध देखो [सुपडिबुद्ध] । वाला । सुप्पडिलग्ग वि [सुप्रतिलग्न] अच्छी तरह सुपण्ण वि [सुप्रज्ञ] सुन्दर बुद्धिवाला। लगा हुआ, अवलम्बित । सुपण्ण पुं [सुवर्ण] गरुड पक्षी । सुप्पणिहाण न [सुप्रणिधान] शुभ ध्यान । सुपभ देखो सुप्पभ । सुप्पणिहिय देखो सुपणिहिय । सुपम्ह पुं [सुपक्ष्मन्] एक विजय-क्षेत्र । पुन, सुप्पन्न वि [सुप्रज्ञ] सुन्दर बुद्धिवाला । एक देव-विमान । सुप्पबुद्ध पुन [सुप्रबुद्ध] एक अवेयक-विमान । सुपव्व पु [सुपर्वन्] देव । न. सुन्दर पर्व । । सुप्पबुद्धा स्त्री [सुप्रबुद्धा] दक्षिण रुचक पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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