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________________ ८५६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सुक्क-सुग्गीव सुक्क अक [शुष् ] सूखना। सुक्ख देखो सुक्क = शुष्क । सुक्क वि [शुष्क] सूखा हुआ। सुक्ख न [सौख्य] सुख । सुक्क न [शुक्ल] चुंगी । स्त्री-धन-विशेष । वर | सुक्खव देखो सुक्कव । पक्ष से कन्या-पक्षवालों को लेने-योग्य धन । सुक्खिय वि [स्वाख्यात] अच्छी तरह कहा स्त्री को सम्भोग के लिए दिया जाता धन । | हुआ, प्रतिज्ञात । मूल्य । देखो संक। सुखम (पै) देखो सह = सूक्ष्म । सुक्क पुं [शुक्र] ग्रह-विशेष । पुन एक देव- | सुग देखो सुअ = शुक । विमान । न वीर्य, शरीरस्थ धातु-विशेष । सुगइ स्त्री [सुगति] अच्छी गति । सन्मार्ग । सुक्क पुं [शुक्ल] सफेद रंग । सफेद वर्णमाला। वि. अच्छी गति को प्राप्त । न. शुभ ध्यान-विशेष । वि. जिसका संसार | सुगंध देखो सुअंध । अर्ध पुद्गल-परावर्त काल से कम रह गया | सुगंधा स्त्री [सुगन्धा] पश्चिम विदेह का एक हो वह । ज्झाण, झाण न [°ध्यान] शुभ | विजयक्षेत्र । ध्यान-विशेष । °पक्ख { [°पक्ष] जिसमें | सुगंधि देखो सुअंधि । 'पुर न. वैताढ्य की चन्द्र की कला क्रमशः बढ़ती है वह आधा | उत्तर श्रेणि का एक विद्याधर-नगर । महीना। हंस पक्षी। काक । बगुला । | सुगण वि [सुगण] अच्छी तरह गिननेवाला । पक्खिय वि [°पाक्षिक] वह आत्मा जिसका | सुगम वि. सुख-गम्य । सुबोध । संसार अर्ध पुद्गल-परावर्त से कम रह गया | सुगय वि [सुगत] अच्छी गतिवाला । सुस्थ । हो । °लेस देखो प्लेस। °लेसा देखो | धनी । गुणी । पुं. बुद्धदेव । 'लेस्सा। °लेस्स दि [°लेश्या] शुक्ल | सुगय वि [सौगत] बौद्ध । लेश्यावाला। लेस्सा स्त्री [°लेश्या] सुगर वि [सुकर सुख-साध्य । शुभतम आत्म-परिणाम । सुगिम्ह पुं [सुग्रीष्म] चैत्र मास की पूर्णिमा । सुक्कड । देखो सूक्य । फाल्गुन का उत्सव । सगिर वि. अच्छी वाणीवाला । सुक्कव सक [शोषय ] सुखाना । सगिहिय । वि [सगृहीत] विख्यात । सुक्काणय न [दे] जहाज के आगे का ऊँचा | सगिहीय' काष्ठ । सुगुत्त पुं [सुगुप्त] एक मंत्री। सुक्काभ न [शुक्राभ] एक लोकान्तिक देव- सुग्ग न [दे] आत्म-कुशल । वि. निर्विघ्न । विमान । वैताढ्य पर्वत की दक्षिण श्रेणि में विसर्जित । स्थित एक विद्याधर-नगर । सुग्गइ देखो सुगइ। सुक्किय देखो सुकय। सुग्गय देखो सुगय = सुगत । सुक्किय देखो सुक्की। सुग्गाह अक [प्र+सृ] फैलना। सुक्किल । देखो सुक्क = शुक्ल । सुग्गीव पुं [सुग्रीव] नागकुमार देवों के इन्द्र सुकिल्ला भूतानन्द के अश्व-सैन्य का अधिपति । भारतसुक्कीअ वि [सुक्रीत] अच्छी तरह खरीदा वर्ष का भावी नववाँ प्रतिवासुदेव । राक्षसहुआ। __वंश का एक लङ्कापति । नववे जिनदेव के सुक्ख देखो सुक्क % शुष् । पिता । राजा बालि का छोटा भाई। एक सुक्कय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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