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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सिद्धत्था-सिरि प्राचीन नगर । °वण न वन] वन-विशेष । । सिप्पि स्त्री [शक्ति] सीप, घोंघा । सिद्धत्था स्त्री सिद्धार्था]भ अभिनन्दन-स्वामी | सिप्पिअ वि [शिल्पिक] शिल्पी, कारीगर । की माता । एक विद्या : भ० संभवनाथ जी सिप्पिर न [दे] तृण-विशेष, पलाल, पुआल । की दीक्षा-शिविका। सिप्पी स्त्री [दे] सूची, सूई । सिद्धत्थिआ स्त्री [सिद्धाथिका] मिष्ट-वस्तु- सिप्पीर देखो सिप्पिर । विशेष । रण-विशेष, सोने की कंठी। | सिबिर देखो सिविर। सिद्धय पुं [सिद्धक) सिंदूवार या शाल वृक्ष । सिब्भ देखो सिभ । सिद्धा स्त्री [सिद्धा] भ. महावीर की शासन- सिभा स्त्री [शिफा] वृक्ष का जटाकार मूल । देवी,सिद्धायिका । मुक्ति पान, सिद्ध-शि। | सिम स. सर्व । सिद्धाइया स्त्री [सिद्धायिका] भ० महावीर | सिम देखो सीमा। की शासन-देवी। सिमसिम ) अक [सिमसिमाय] 'सिम सिद्धाययण पुंन [सिद्धायत शाश्वत मन्दिर । सिमसिमाय । सिम' आवाज करना। जिन-मन्दिर । अमुक पर्वतां के शिखरों का सिमिण देखो सुमिण । नाम । सिमिर (अप) देखो सिविर । सिद्धालय स्त्रीन [सिद्धालय] मुक्त-स्थान । सिमिसिम देखो सिमसिम । सिद्ध-शिला । स्त्री.या। सिमिसिमा सिद्धि स्त्री [सिद्धि] सिद्ध-मिला, जहाँ मुक्त | सिमिसिमिय वि [सिमिसिमित] 'सिम-सिम' जीव रहते हैं ।मुक्ति, निकण | कर्म-क्षय । | आवाज करनेवाला। अणिमा आदि योग की शक्ति । कृतार्था । सिर सक [सज्] बनाना, छोड़ना। निष्पत्ति । छन्द-विशेष : गइ स्त्री सिर न [शिरस्] मस्तक । प्रधान, श्रेष्ठ । [°गति ] मुक्तिस्थान में गमन । गंडिया अग्र भाग । क न [क] । 'ताण, "त्ताण स्त्री [ 'गण्डिका ] ग्रन् प्रकरण-विशेष । न [°त्राण] शिरस्त्राण । 'बत्थि स्त्री "पुर न. नगर-विशेष । [°बस्ति ] सिर में चर्म-कोश देकर उसमें सिन्न स्त्रीन [सैन्य] हाथी घोड़ा की सेना संस्कृत तैल आदि पूरने का उपचार । आदि । °मणि देखो सिरो-मणि । °य पुं [°ज] सिप्प देखो सिंप। केश । 'हर न ["गृह] मकान के ऊपर की सिप्प न [दे] पलाल, तृण-विशेष । छत । देखो सिरो। सिप्प न [शिल्प] कारु-कार्य, कारीगरी, | सिर° देखो सिरा। चित्रादि-विज्ञान, कला, क्रिया-कुशलता। सिरय । देखो सिर = शिरस् । तेजस्काय, अग्नि-संघात । अग्नि का जीन । | °सिरस ) पं. तेजस्काय का अधिष्ठाता देव । सिद्ध पुं. सिरसावत्त वि [ शिरसावर्त, शिरस्यावत ] कला में अतिकुशल । जीव वि. कारीगर, मस्तक पर प्रदक्षिणा करनेवाला । कलाकार। सिरा स्त्री [शिरा] नस, धारा । सिप्पा स्त्री [सिप्रा]उज्जैन के पास की नदी । सिरि° देखो सिरी। उत्त पुं[°पुत्र] भारतसिप्पि वि [शिल्पिन्] कारीगर, कलाकार । वर्ष का भावी चक्रवर्ती राजा। "उर न चित्र आदि कला में कुशल । J [°पुर] नगर-विशेष । °कंठ पुं [कण्ठ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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