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________________ सय-सयर सक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ८२३ [°शर्कर] शत खंडवाला । हा अ ['धा] | भूरमणमहावर पुं. । भूरमणवर पुं स्वयंसौ प्रकार से, सौ टुकड़ा हो ऐसा । हुत्तं अ. भूरमण-समुद्र का एक अधिष्ठायक देव । °वर [कृत्वस्] सौ बार । °ाउ पुं [°ायुष्] | पुं. कन्या का स्वेच्छानुसार वरण । निमन्त्रित एक कुलकर पुरुष । मदिरा-विशेष । °ाणिय, विवाहार्थियों में से इच्छानुसार वरण करने°णीअ पुं [°ानीक] एक राजा । वाली । °संबुद्ध वि. स्वयं ज्ञात-तत्त्व । सय देखो सयं = स्वयं । सयंजय पुं [शतञ्जय] पक्ष का तेरहवा सयं देखो सई = सकृत् । दिवस । सयं अ [स्वयम्] खुद । °कड वि [कृत] सयंजल पुं [शतञ्जल] एक कुलकर पुरुष । वरुण लोकपाल का विमान । देखो सय-जल । खुद किया हुआ। ‘गाह पुं [ ग्राह° ] ऐरवत वर्ष में उत्पन्न चौदहवें जिनदेव । जबरदस्ती ग्रहण करना । विवाह-विशेष । वि. स्वयं ग्रहण करनेवाला। °पभ पुं सर्यभरी स्त्री [शाकम्भरी] देश-विशेष । [प्रभ] ज्योतिष्क ग्रह-विशेष । भारतवर्ष में | सयग देखो सयय। | सयग्घी स्त्री [दे] जाँता, चक्की । अतीत उत्सर्पिणी या आगामी उत्सर्पिणी का चौथा कुलकर पुरुष । आगामी उत्सर्पिणी के सयड पुन [शकट] गाड़ी । न. नगर-विशेष । ___°मुह न [°मुखउद्यान-विशेष, जहाँ भारतवर्ष के चौथे जिन-देव । एक जैन मुनि, भ० संभवनाथ के पूर्वजन्म के गुरु । एक हार । ऋषभदेव को केवलज्ञान हुआ था। सयडाल देखो मगडाल। मेरु पर्वत । नन्दीश्वर द्वीप के मध्य में पश्चिमदिशा-स्थित एक अंजन गिरि । न. राजा सयण देखो स-यण = स्व-जन । रावण के लिए कुबेर द्वारा बनाया हुआ एक सयण न [सदन] गृह.। अंग-ग्लानि । नगर । वि. आप से प्रकाश करनेवाला । सयण न [शयन] वसति, स्थान । शय्या, °पभा स्त्री [प्रभा] प्रथम वासुदेव की बिछौना । निद्रा। स्वाप । पटरानी। एक रानी । °पह देखो °पभ । सयणिज्ज न [शयनीय शय्या, बिछौना । 'बुद्ध वि. अन्य के उपदेश के बिना जिसको | सयणिज्जग देखो स-यण = स्व-जन । तत्त्व-ज्ञान हुआ हो । भु पुं.ब्रह्मा । भारत में सयणीअ देखो यणिज्ज । उत्पन्न तीसरा वासुदेव । सतरहवें जिनदेव का सयण्ण देखो सकण्ण । गणघर । जीव, आत्मा, चेतन । स्वयंभूरमण सयण्ह देखो स-यण्ह = स-तृष्ण । समुद्र । पुन. एक देव विमान । देखो भू । सयत्त वि [दे] मुदित । भुरोहिणी स्त्री [°भुगेहिनी] सरस्वती सयन्न देखो सकण्ण। देवी । °भुरमण पुं. देखो भूरमण । भुव, सयय वि [सतत] निरन्तर । °भू पुं. अनादि-सिद्ध सर्वज्ञ । ब्रह्मा। तीसरा सयय पुं [शतक] वर्तमान अवसर्पिणीकाल में वासुदेव । रावण का एक योद्धा । भ० विमल- उत्पन्न ऐरवत वर्ष के एक जिन-देव । नाथ का प्रथम श्रावक । स्तन । देखो °भु। आगामी उत्सर्पिणी में भारतवर्ष में होनेवाले °भूरमण पुं. समुद्र-विशेष । द्वीप-विशेष । एक | एक जिनदेव के पूर्वजन्म का नाम, जो देवविमान । °भूरमणभद्द [ भूरमणभद्र]। भगवान् महावीर का श्रावक था । न. सौ का भूरमणमहाभद्द पुं [भूरमणमहाभद्र] | समुदाय । स्वयंभूरमण । द्वीप का एक अधिष्ठाता देव । । सयर देखो सायर = सागर । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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