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________________ समभहिअ-समस्सअ संक्षिप्त प्राकृत हिन्दी कोष ८१३ करना । | समर पुन. युद्ध । छन्द-विशेष । लोहकारसमभहिअ वि [समभ्यधिक] अत्यन्त । शाला । इच्च पुं [°ादित्य] अवन्ती-देश अधिक । का एक राजा । समन्भास पुं [समभ्यास] निकट, पास । समर वि [स्मार] कामदेव-सम्बन्धी । समन्भिडिय वि [दे] भिड़ा हुआ, लड़ा हुआ। | | समरइत्तु वि [ मर्तृ] स्मरण-कर्ता । समभिआवण्ण वि [समभ्यापन्न] संमुख | समरसद्दहय पुंदे] समान उम्रवाला । आया हुआ। समराइअ वि (दे] पिष्ट, पिसा हुआ । समभिजाण सक [ समभि + ज्ञा] निर्णय | | समरेत्तु देखो मरइत्तु। करना। प्रतिज्ञा-निर्वाह करना । समलंकर । सक [समलम् + कृ] । सक समभिद्दव सक [समभि = द्र] हैरान करना। | समलंकार , [समलम् + कारय] विभूषित समभिधंस सक [ समभि + ध्वंसय ] नष्ट ___ करना। करना। समलद्ध (अप) वि [समालब्ध] विलिप्त । समभिपड सक [समभि + पत्] आक्रमण समल्लिअ अक [समा + ली] संबद्ध होना । करना। लोन होना । सक. आश्रय करना। समभिभूअ वि [समभिभूत] अत्यन्त परा- समल्लीण वि [समालीन] अच्छी तरह लीन । भूत । समवइण्ण वि [समवतीर्ण] अवतीर्ण । समभिरूढ पुं. नय-विशेष । समवट्ठाण न [ समवस्थान ] सम्यग् अवसमभिलोअ सक [समभि+लोक्] देखना, समवट्टिइ स्थिति । स्त्री [समवस्थिति] । निरीक्षण करना। समवत्ति देखो सम-वत्ति = सम-वतिन् । समय अक [सम् + अय्] समुदित होना, समवय° देखो समवे। एकत्रित होना। समवसर देखो समोसर = समव + सृ । समय पुं. वक्त, अवसर। दूसरा हिस्सा न हो समवसेअ वि [समवसेय] जानने-योग्य । सके ऐसा सूक्ष्म काल । मत, दर्शन । सिद्धान्त, समवाय पुं. गुण-गुणी आदि का सम्बन्ध । शास्त्र, आगम । पदार्थ, चीज । संकेत । सम्बन्ध । समूह । एकत्र करना । जैन अंगसमीचीन परिणति, सुन्दर परिणाम । आचार, ग्रन्थ-विशेष, चौथा अंग-ग्रन्थ । रिवाज । एकवाक्यता। सामायिक, संयम समवे अक [समव + इ] शामिल होना। विशेष । 'क्खेत्त, °खेत्त न [ क्षेत्र] कालोप सम्बद्ध होना। लक्षित भूमि, मनुष्य लोक । ज्ज, °ण वि समवेद (शौ) वि [समवेत एकत्रित । [ज्ञ] समय का जानकार । समसम अक [नमसमाय] 'सम्' 'सम्' आवाज समय देखो स-मय = स-मद । करना। समय । अ [समकम्] युगपत्, एक साथ ।। | समसरिस देखो सम-सरिस । समयं ) सह । समसाण देखो मसाण। समया देखो सम-या। समसीस वि [दे] सदृश । निर्भर । न. स्पर्धा । समया अ. पास, नजदीक । समसीसिआ । स्त्री [दे] स्पर्धा । समर सक [स्मृ] याद करना । | समसीसी समर देखो सबर । स्त्री. °री। समस्सअ सक [समा+श्रि] आश्रय करना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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