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________________ ७४८ विजोग देखो विप्पओअ । विप्पsिs अक [विपरि + इ] विपरीत होना । विप्पडिघाय पुं [ विप्रतिघात] प्रतिबन्ध | विप्पsिह पुं [ विप्रतिपथ ] विपरीत मार्ग | विप्पडवण्ण वि [विप्रतिपन्न ] जिसने विशेष संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष रूप से स्वीकार किया हो वह । विरोध प्राप्त । विप्पडिवत्ति स्त्री [विप्रतिपत्ति ] विरोध । प्रतिज्ञा-भंग | विप्पडिवेअ विप्पsिवेद विप्पडिसिद्ध वि [विप्रतिषिद्ध] आपस में सक [ विप्रति + वेदय् ] जानना । विचारना । असंमत । विप्पडीव वि [विप्रतीप ] प्रतिकूल । विप्पण वि [ विप्रनष्ट ] पलायित, नाश प्राप्त । विप्पणम विप्पणव क [ विप्र + णम् ] नमना । अक तत्पर होना । विप्पणस्स अक [ विप्र + नश् ] नष्ट होना । विप्पणास पुं [ विप्रणाश] विनाश । विप्पतार सक [ विप्र + तारय् ] ठगना । विप्पदीअ (शौ) देखो विप्पडीव । विप्पदीव वापित। पुं. वैद्य । विप्पयार सक [विप्र + तारय् ] ठगना । विप्रद्धवि [ दे] विशेष पीड़ित । विप्पजोग - विप्पय विप्परियास सक [विपरि + आसय् ] व्यत्यय करना उलटा करना । विप्रयास [विपर्यास ] व्यत्यय । विपरीतता, परिभ्रमण | Jain Education International देखो विप्परुद्ध वि [ विप्ररुद्ध ] तिरस्कृत । विप्पल देखो विप्प = विप्र । विप्पलंभ सक [ विप्र + लभ् ] ठगना । विप्पलंभ पुं [विप्रलम्भ ] वञ्चना । शृङ्गार की एक अवस्था — जिसमें उत्कृष्ट अनुराग होने पर भी प्रिय समागम नहीं होता । विपर्यास | विरह | विप्पलंभअ वि [विप्रलम्भक ] प्रतारक, ठगनेवाला । विप्पमाय पुं [ विप्रमाद] विविध प्रमाद | विप्पमुंच सक | विप्र + मुच् ] छोड़ना । विमुक्s a [ विप्रमुक्त] विमुक्त | विप्पय न [ दे] खल- भिक्षा । दान । वि. विप्पव पुं [ विप्लव ] क्रान्ति । दूसरे राजा के विप्पलद्ध वि [ विप्रलब्ध] वञ्चित | विप्पलय पुंन [ ] विविधता । विचित्रता । विप्पलविद (शौ ) न [विप्रलपित ] बकवाद | विप्पलाअ देखो विपलाअ । विप्पलाअ विप्पलाव पुं [विप्रलाप ] परिवेदन, रोना । बकवाद । विरहा लाप । विप्पलिउंचिअ न [विपरिकुचित ] गुरु को सम्पूर्ण वन्दन न करके बीच में बातचीत करने का एक दोष । विप्लुंग वि [विप्रलोपक] लुटेरा । विप्पलोहण वि [विप्रलोभन] लुभानेवाला । राज्य आदि से भय । अस्वस्थता | विप्पवर न [ दे] भल्लातक, भिलवा | विप्पवस अक [ विप्र + वस्] प्रवास में जाना, देशान्तर जाना । परद्ध । विप्रास देखो विपरामुस । विपरिणम देखो विपरिणम । विप्परिणय देखो विपरिणय । विप्पसन्न वि [ विप्रसन्न ] विशेष प्रसन्न । प्रसन्न - चित्त का मरण | विप्पसर अक [विप्र + सृ] फैलना । विप्परिणाम देखो विपरिणाम = विपरि- विप्पसाय सक [विप्र + सादय् ] प्रसन्न करना । णमय् । विप्पसीअ अक [ विप्र + सद्] प्रसन्न होना । विप्परिणाम देखो विपरिणाम = विपरिणाम । विप्पहय वि [ विप्रहत] आहत, जखमी | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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