SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 746
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वाहि-विअट्टि संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७२७ वाहि पुंस्त्री [व्याधि] रोग । विभइ स्त्री [विगति] विगम, विनाश । वाहिअ देखो वाहित्त = व्याहृत । विअइ देखो विगइ = विकृति । वाहिअ वि [व्याधित] रोगी, बीमार । । | विअइत्ता विअत्त = वि + वर्त्तय का संकृ. । वाहिणी स्त्री [वाहिनी] नदी। सेना, जिसमें | विअइल्ल पुं [विचकिल] पुष्प-वृक्ष-विशेष । ८१ हाथी, ८१ रथ, २४३ घोड़े और ४०५ | न. पुष्प-विशेष । वि. विकसित । प्यादे हों वह सैन्य-विशेष । °णाह पुं | विअओलिअ वि [दे] मलिन । [°नाथ] सेना-पति । °स पुं[श] वही। विअंग सक [व्यङ्गय] अंग से हीन करनावाहित्त वि [व्याहृत] उक्त । कथित । आहूत ।। हाथ, कान आदि को काटना । वाहित्ति स्त्री [व्याहृति] उक्ति, आह्वान । विअंगिअ वि [दे] निन्दित । वाहिप्प देखो वाहर का कर्म. । विअंजण देखो वंजण = व्यञ्जन । वाहिम देखो वाह = वाहय् का कृ.। विअंजिअ वि [व्यजित] व्यक्त किया हुआ । वाहियाली स्त्री [वाह्याली] अश्व खेलने की विअंटूत वि [दे] अवरोपित । मुक्त । जगह । विअंति स्त्री [व्यन्ति] अन्त क्रिया । °कारय वाहिल्ल वि [व्याधिमत्] रोगी । वि [°कारक] अन्त-क्रिया करनेवाला, कर्मों वाहुडिअ वि [दे] देखो बाहुडिअ । का अन्त करनेवाला । वाहुय देखो वाहित्त = व्याहृत । विअंभ अक [वि + जृम्भ] उत्पन्न होना । वि देखो अवि = अपि । विकसना । जंभाई खाना । प्रकाश करना। वि अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय-विरोध, | विअंभ वि [विदम्भ] निष्कपट, सत्य । प्रतिपक्षता । विशेष । विविधता । खराबी । विसण वि [विवसन] वस्त्र-रहित । अभाव । महत्त्व । भिन्नता । ऊँचाई । पाद | विअंसय पुं [दे] व्याध, बहेलिया । पूर्ति । पुं. पक्षी । वि उद्दीपक । ज्ञापक।। विअक्क सक [वि + तर्कय] विचारना, विमर्श वि देखो बि-द्वि । करना। वि वि [विद्] जानकार। °उच्छा स्त्री विअक्ख सक [वि+ ईक्ष् ] देखना । विअक्खण वि [विचक्षण] विद्वान् । पण्डित । [°जुगुप्सा] विद्वान् या साधु की निन्दा । वि॰ स्त्री [विष्] पुरीष, विष्ठा । विअग्ग वि [व्यग्र] व्याकुल । विअ सक [विद्] जानना। विअग्ध देखो वग्ध = व्याघ्र । विअ न [वियत्] आकाश । 'चर वि. आकाश विअग्घ पुं [वैयाघ्र व्याघ्र-शिशु । विहारी । °च्चरपुर न. एक विद्याधर-नगर । विअज्जास देखो विवज्जास । विअ वि [विद्] जानकार । विज्ञान । विअट्ट सक [विसं+वद्] अप्रमाणित करना, विअ देखो इव । असत्य साबित करना। विअ पुं [वृक] श्वापद-जन्तु-विशेष, भेड़िया। | विअट्ट अक [वि+वृत्] विचरना । विअ पुं [व्यय] विगम, विनाश। विअट्ट वि [विवृत्त] निवृत्त, व्यावृत्त । भोइ विअ वि [विगत] विनष्ट, मृत । °च्चा स्त्री | वि [°भोजिन्] प्रतिदिन भोजन करनेवाला । [ ] मृत आत्मा का शरीर । विअट्ट पुं [विवर्त] प्रपञ्च । विअ देखो अविअ = अपिच । विअट्ट । वि [विसंवदित] संवाद-रहित, विअइ वि [विजयिन्] जो जीत गया हो। । विअट्टिअ ) अप्रमाणित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy