SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 735
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७१६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ववहार-चसाहा ववहार पुं [व्यवहार] पूर्व-ग्रन्थ । जीतकल्प । [°तिलक] हरिवंश में उत्पन्न एक राजा । सूत्र । कल्पसूत्र । मार्ग । आचरण । ईप्सि- न. एक उद्यान, जहाँ भगवान ऋषभदेव ने तव्य । दीक्षा ली थी। °तिलआ स्त्री [°तिलका] ववहारि पु [व्यवहारिन्] ऐरवत क्षेत्र में | छन्द-विशेष। उत्पन्न एक जिन-देव । वि. व्यापारी । वसंवय वि [वशंवद] निज को अधीन कहनेव्यवहार-क्रिया-प्रवर्तक । वाला । ववहारिअ वि [व्यावहारिक] व्यवहार वसण न [वसन] वस्त्र । निवास । सम्बन्धी। वसण पुं [वृषण] अण्ड-कोष । ववहिअ वि [व्यवहित] व्यवधान-युक्त । वसण न [व्यसन] कष्ट, विपत्ति । राजादिववहिअ वि [दे] उन्मत्त । कृत उपद्रव । द्यूत, मद्य-पान आदि खोटी ववाँल देखो वमाल। आदत । ववेअ वि [व्यपेत] व्यपगत । वसभ पुं [वृषभ] वृष राशि । ऋषभदेव । एक ववेक्खा स्त्री [व्यपेक्षा] विशेष अपेक्षा। जैन मुनि, चतुर्थ बलदेव के पूर्व जन्म के गुरु । वव्वय पुं[वल्वज] तृण-विशेष । ज्ञानी साधु । बैल । उत्तम । °करण न. वह वव्वर वि [वर्वर] पामर । मूर्ख। स्थान जहाँ बैल बांधे जाते हों। क्खेत्त न. वव्वा देखो वव्वय। [ क्षेत्र]वर्षा-काल में आचार्य आदि जहाँ रहते वव्वाड पुंदे] अर्थ । धन । हों वह स्थान । ग्गाम पुं[°ग्राम] कुत्सित देश वव्वीस देखो वच्चीसग, वद्धीसक । में नगर-तुल्य गाँव । °ाणुजाय पुं [°नुजात] वशधि (मा) देखो वसहि = वसति । ज्योतिषशास्त्र का प्रथम योग, जिसमें चन्द्र, वश्च (म) देखो वच्छ = वृक्ष । सूर्य और नक्षत्र बल के आकार से स्थित वस अक [ वस् ] वास करना, रहना । सक. होते हैं । देखो उसभ, रिसभ, वसह । बांधना। वसभुद्ध पुं [दे] कौआ । वस वि [वश] अधीन । पुन. परतन्त्रता। वसम देखो वसिम। प्रभुत्व । स्वामित्व । आज्ञा । बल, सामर्थ्य । वसल वि [दे] दीर्घ । °अ, °ग वि. वशीभूत, पराधीन । "ट्ट वि | वसह पुं [वृषभ] वैयावृत्त्य करनेवाला मुनि । [त] पराधीनता या इन्द्रिय आदि की लक्ष्मण का पुत्र । बैल । कान का छिद्र । परवशता से दुःखित । "ट्टमरण न [र्तम- औषध-विशेष । 'इंध पुं [°चिह न] शंकर । रण] इन्द्रियादि-परवश की मौत । वत्ति वि °केउ पुं [ केतु] इक्ष्वाकु-वंश का राजा । [वर्तिन्] । °इत्त वि [°यित्त] । °णुग वि °वाहण पुं [°वाहन] ईशान देवलोक का [°नुग] वशीभूत, अधीन । इन्द्र । महादेव । °वीही स्त्री [°वीथी] शुक्र वस पुं [वृष] धर्म । बैल । देखो विस = वृष ।। ग्रह का एक क्षेत्रभाग। वसइ स्त्री [वसति] स्थान, आश्रय। रात्रि । वसहि देखो वसइ । गृह । निवास। वसा स्त्री. शरीरस्थ धातु-विशेष । वसंत पुं [वसन्त] ऋतु-विशेष, चैत्र और °वसारअ वि [प्रसारक] फैलानेवाला । वैशाख मास का समय । चैत्र मास । °उर | वसाहअ देखो पसाहय । म [°पुर] नगर-विशेष । तिलअ पुं| वसाहा स्त्री [प्रसाधा] अलंकार, आभूषण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy