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________________ ७१४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वलइय-वल्लकी वलइय वि [वलयित] वलय-कंगन की तरह गोल हुआ हो वह । तरह गोलाकार किया हुआ । वेष्टित । | वलवट्टि [दे] देखो बलवट्टि । वलंगणिआ स्त्री [दे] बाड़वाली। वलवा देखो वडवा। पलक्किम वि दे] उत्संगित, उत्संग-स्थित । | वलवाडी स्त्री [दे] वृति, बाड़ । वलक्ख वि [वलक्ष] श्वेत । वलविअ न [दे] शीघ्र । वलक्ख न [वलाक्ष] एक तरह का गले में वलहि स्त्री [दे] कपास । पहनने का गहना। वलहि । स्त्री [वलभि, भी] गृह-चड़ा। वलग्ग अक [आ+ रुह ] आरोहण करना। वलही छज्जा, बरामदा । महल का अग्रस्थ वलग्ग वि [आरूढ] चढ़ा हुआ। भाग । कठियावाड़ का प्राचीन नगर, आजकल वलग्गंगणी स्त्री [दे] वृति, बाड । का 'वळा' । वलण न[वलन] मोड़ना । प्रत्यावर्तन । वक्रता । | वलाअ देखो पलाय = परा + अय् । वलण (शौ. मा) देखो वरण । वलाअ देखो पलाव = प्रलाप । वलणा स्त्री [वलना] देखो वलण = वलन ।। °वलाअ देखो वल = वल् । °मरण देखो वलय-मरण। वलत्थ वि [दे] पर्यस्त । वलि स्त्री. पेट का अवयव-विशेष । नाभि के वलमय न [दे] शीघ्र । ऊपर पेट की त्रिवलि । जरा आदि से होती वलय पुंन. कंकण । पृथिवी-वेष्टन, घनवास | शिथिल चमडी। आदि । वेष्टन । वतुल । नदी आदि के बांक | वलिअ वि [दे] भुक्त। से वेष्टित भू-भाग । माया। झूठ । बलयकार वलिअ वि [वलित] मुड़ा हुआ । जिसको बल वृक्ष , नारिकेल । °आर, रअ पुं[°कार, चढ़ाया गया हो वह (रस्सी आदि)। °कारक] कंकण बनानेवाला शिल्पी। वलिअ देखो विलिअ = व्यलोक । वलय वि [वलक] मोड़नेवाला । वलिआ स्त्री [दे] धनुष की डोरी। वलय न [दे] खेत । गृह । वलिच्छत्त देखो परिच्छन्न । वलय देखो वल = वल् । °मयग वि [ मृतक] | "वलित्त देखो पलित। संयम से भ्रष्ट होकर मृत । भूख आदि से | वलिमोडय पुं [वलिमोटक] वनस्पति में ग्रन्थि तड़फता हुआ मरा हो । मरण न. संयम से का चक्राकार वेष्टन । च्युत का मरण । वली स्त्री. देखो वलि । वलयणी स्त्री [दे] वृति, बाड़। वलुण देखो वरुण। वलयबाहा ) स्त्री [दे] दीर्घ काष्ठ, जिसपर वले अ. संबोधन-सूचक अव्यय । देखो बले । वलयबाहु ) ध्वजा आदि बांधा जाता है। वल्ल देखो वल = वल् ।। हाथ का एक आभूषण, चूड़ा, कड़ा। वल्ल अक [वल्ल] चलना, हिलना । वलया देखो वडवा । °णल पुं [°नल] वड वल्ल पुंदे] शिशु, बालक । वाग्नि । °मुह न [ मुख] बडवानल । पुं. एक वल्ल पुं [दे] अन्न-विशेष, निष्पाव ।' बड़ा पाताल-कलश। वल्लई स्त्री [वल्लवी] गोपी । वलया स्त्री [दे] समुद्र-कूल । °मुह न [°मुख] | वल्लई स्त्री दे] गो। वेला का अग्रभाग। वल्लई । स्त्री [वल्लकी] वीणा । वलयाइअ वि [वलयायित] जो वलय की | वल्लकी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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