SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 729
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७१० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वत्थिय-वप्पा सिर आदि में चर्म-वेष्टन द्वारा किया जाता | वद्धमाणग । पुं [वर्धमानक] अठासी महातैल आदि का पूरण । मल साफ करने के लिए वद्धमाणय ग्रहों में एक महाग्रह, ज्योतिष्क गुदा में बत्ती आदि का किया जाता प्रक्षेप। देव-विशेष । एक देव-विमान । न. शराव । पुडग पुन [°पुटक] पेट का भीतरी प्रदेश। पुं. पुरुष पर आरूढ़ पुरुष । स्वस्तिक-पश्चक । वत्थिय पुं [वास्त्रिक] वस्त्र बनानेवाला एक तरह का महल । अस्थिक ग्राम । वि. शिल्पी। अभिमानी। वत्थी स्त्री [दे] तापसों की पर्ण-कुटी। वद्धय वि [दे] मुख्य । वत्थु न [वस्तु] पदार्थ, चीज । पुन. पूर्व-ग्रन्थों वद्धार सक [वर्धय ] बढ़ाना । का अध्ययन-प्रकरण, परिच्छेद । °पाल, वद्धाव सक [वर्धय, वर्धापय् ] बधाई देना । °वाल पुं. राजा वीरधवल का जैन मन्त्री।। वद्धावय वि [वर्धापक] बधाई देनेवाला । वत्थु न [वास्तु] गृह । गृहादि-निर्माण-शास्त्र । वद्धिअ पुं [दे] नपुंसक । छोटी उम्र में ही छेद शाक-विशेष । °पाढग वि [°पाठक] वास्तु देकर जिसका अण्डकोष गलाया गया हो वह, शास्त्र का अभ्यासी । विज्जा स्त्री["विद्या] बधिया । गृह-निर्माण-कला। वद्धिअ देखो वढिअ = वृद्ध । वत्थुल , पुं [ वस्तुल ] गुच्छ और हरित वद्धी स्त्री [दे] आवश्यक कर्तव्य । वत्थूल । वनस्पति-विशेष, शाक-विशेष । पुं वद्धीसक । पुन [दे. वद्धीसक] एक प्रकार [वस्तूल] । वद्धीसग ) का बाजा। वद देखो वय = वद् । वध देखो वह = वध । वद देखो वय = व्रत । वधय देखो वहय। वदिसा देखो वडेंसा। वधू देखो वहू। वदिकलिअ वि [दे] वलित, लौटा हुआ। वन्नग देखो वण्णय । वदूमग देखो वडुमग । वनिआ स्त्रो [वर्णिका] वानगी, नमूना । वद्दल न [दे. वार्दल] बादल, घटा, दुर्दिन । लाल रंग की मिट्टी। पं. छठवीं नरक का दूसरा नरकेन्द्रक । वपु देखो वउ = वपुस् । वलिया स्त्री [दे. वालिका]बदली, दुर्दिन । वप्प सक [त्वच?] ढकना । वद्ध देखो वड्ढ = वर्धय । वप्प पुं [व] जंबूद्वीप का एक प्रान्त, जिसकी वद्ध पुंन [व] चर्म-रज्जु । राजधानी विजया है। पुंन. दुर्ग। केदार, वद्ध देखो विद्ध = वृद्ध । खेत । किनारा । ऊँची-जमीन । वद्धण न [वर्धन] वृद्धि । वि. बढ़ानेवाला । वप्प वि [दे] कृश । बलवान् । भूताविष्ट । वद्धणिआ) स्त्री [वर्धनिका, नी]संमार्जनी, वप्पइराय देखो व-प्पइराय । वद्धणो । झाड़ । वप्पगा देखो वप्पा। वद्धमाण पुं [ वर्धमान ] भगवान् महावीर । वप्पगावई स्त्री [वप्रकावती] जंबूद्वीप का एक जैनाचार्य । स्कन्धारोपित पुरुष । एक विजय-क्षेत्र, जिसकी राजधानी अपराजिता है । शाश्वत जिन-देव। एक शाश्वती जिन- वप्पा स्त्री [वप्र] ऊँची जमीन । प्रतिमा । न. गृह-विशेष । राजा रामचन्द्र का | वप्पा स्त्री [वप्रा] भ० नमिनाथ की माता । एक प्रेक्षा-गृह । देखो वड्ढमाण । । दशवें चक्रवर्ती राजा हरिषेण की माता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy