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________________ वइत्ता-वइसम्म संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वइत्ता वय = वच् का संकृ. । हर पुं [°धर] इन्द्र । °मय वि [°मय] वइत्तु वि [वदित] बोलनेवाला । वज्र रत्नों का बना हुआ। स्त्री. मई, वइदब्भ देखो वइअब्भ । °मती। वित्त न [वर्त] एक देववइदि स पुं [वैदिश अवन्ती-मालव देश । वि. विमान । °सभनाराय न [ऋषभनाराच] विदिशा-सम्बन्धी। संहनन-विशेष । देखो वज्ज - वज्र । वइदेस देखो वइएस। वइरा स्त्री [वज्रा] एक जैन मुनि-शाखा । वइदेसिअ वि वैदेशिक विदेशीय, परदेशी। वइराग न [वैराग्य विरक्ति, उदासीनता। वइदेह देखो वइएह। वइराड पुं [वैराट] एक आर्य देश । न. वइदेही स्त्री [वैदेही] राजा जनक की स्त्री. प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी । सीता को माता । सीता। हल्दी। पीपल। वइराय देखो वइराग। वणिक्-स्त्री। वइरि वि [वैरिन्] दुश्मन, रिपु । वइधम्म न [वैधर्म्य] विरुद्धधर्मता । वइरिअ । वइमिस्स वि [व्यतिमिश्र] संमिलित । वरिक्क न [दे] विजन, एकान्त । देखो वइर देखो वेर - वैर । पइरिक्क । वइर पुंन [वज्र] रत्न-विशेष, हीरा । इन्द्र का वइरित्त वि [व्यतिरिक्त] भिन्न, अलग । अस्त्र । एक देव-विमान । बिजली । पुं. एक वइरी स्त्री [वज्रा] एक जैन मुनि-शाखा । जैन महर्षि । कोकिलाक्ष वृक्ष । श्वेत कुशा । वइरुट्टा स्त्री [वैरोट्या] एक विद्या-देवी । श्रीकृष्ण का प्रपौत्र । न. बालक । धात्री। मल्लिनाथ को शासन-देवी । कांजी । वज्रपुष्प । एक प्रकार का लोहा । | वइरुत्तरवडिंसग न [वज्रोत्तरावतंसक एक अभ्र-विशेष । ज्योतिष का एक योग । देव-विमान । कीलिका । °कंड न [काण्ड] रत्नप्रभा का | वइरेअ ) पुं [व्यतिरेक] अभाव । साध्य के एक वज्ररत्न-मय काण्ड । कंत न[°कान्त ।। वइरेग अभाव में हेतु का नितान्त अभाव । कड न [°कूट]देव-विमान । देवी-विशेष का | वइरोअण पुं [वैरोचन] अग्नि । बलि नामक आवासभूत एक शिखर । जंघ पुं [°जय] । इन्द्र । उत्तर दिशा में रहनेवाले असुर-निकाय भरतक्षेत्र में उत्पन्न तृतीय प्रतिवासुदेव ।। के देव । पुंन. एक लोकान्तिक देव-विमान । पुष्कलावती विजय के लोहार्गल नगर का एक | वइरोअण पुंदे] बुद्ध देव । राजा । °प्पभ न [°प्रभ] एक देव-विमान । | वइरोड पुं दे] जार, उपपति । °मज्झा स्त्री [°मध्या] प्रतिमा-विशेष, एक | वइवलय पुं[दे] दुन्दुभ सर्प, उसकी जाति । प्रकार का व्रत । रूव न [°रूप] । °लेस न | वइवाय पुं [व्यतीपात] ज्योतिष का एक [°लेश्य] । °वण्ण न [°वर्ण] । सिंग न | योग । [शृङ्ग] सब देव-विमान । °सिंह पुं. एक | वइवेला स्त्री [दे] सोमा । राजा । सिट्ठ न [°सृष्ट] एक देव-विमान । | वइस देखो वइस्स = वैश्य । °सीह देखो सिंह । °सेण पुं [°सेन] एक | वइसइअ वि [वैषयिक] विषय-सम्बन्धी। जैन महषि, वज्रस्वामी के शिष्य । °सेणा | वइसंपायण पुं [वैशम्पायन] एक ऋषि, जो स्त्री [°सेना] इन्द्राणी, दाक्षिणत्य वानव्यत- | व्यास का शिष्य था । रेन्द्र की अग्र-महिषी । एक दिक्कुमारी देवी। | वइसम्म पुंन [वैषम्य] विषमता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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