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________________ ६९२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष लाभिय-लिंगिय लाभिय । वि [लाभिक]लाभ-युक्त , लाभ- | लावण्ण देखो लायण्ण । लाभिल्ल ) वाला। लाविय (अप) वि [लात] लाया हुआ । लाम वि [दे] रम्य । लाविया स्त्री [दे] उपलोभन । लामंजय न [दे] उशीर तृण, खस-गाँडर लास सक [लासय] नाचना । घास की जड़। लास न [लास्य] भरतशास्त्र प्रसिद्ध गेयपद लामा स्त्री [दे] डाकिनी । आदि । नृत्य । स्त्री का नाच । वाद्य, नृत्य लाय सक [लागय] लगाना । और गीत का समुदाय । लाय सक [लावय] कटवाना । काटना । लासक ) पुं. रास गानेवाला। जय शब्द लाय देखो लाइअ = (दे)। लासग । बोलनेवाला। लाय वि [लात] गृहीत । न्यस्त, स्थाफ्ति । लासय पुं [लासक, लासक] अनार्य देशन. लग्न का एक दोष । विशेष । पुंस्त्री. वहाँ का रहनेवाला । स्त्री. लाय पुंस्त्री [लाज] आर्द्र तण्डुल । ब. भृष्ट "सिया । देखो ल्हासिय। धान्य । लासयविहय पुं [दे. लासकविहग] मयूर । लायण्ण न [लावण्य] शरीरकान्ति । लवणत्व । लाह सक [श्लाघ्] प्रशंसा करना । लाल सक [लालय] स्नेह पूर्वक पालना । लाह देखो लाभ। लालंप अक [वि + लप्] विलाप करना। लाहण न [दे] भोज्य-भेद, खाद्य-वस्तु की लालंपिअ न [दे] प्रवाल । खलीन । भेंट । लालंभ देखो लालंप। लाहल देखो णाहल। लालप्प देखो लालंप। लाहव देखो लाघव । लालप्प सक [लालप्य] खूब बकना । बारबार लिअ सक [लिप्] लीपना। बोलना । गहित बोलना। लिअ वि [लिप्त] लीपा हुआ । न. लेप । लालब्भ । देखो लालप। लिआर पुं [लकार] 'ल' वर्ण । लालम्ह लिंक पुंदे] बाल, लड़का । लालय न [लालक] लाला। लिंकिअ वि [दे] आक्षिप्त । लीन । लालस वि [दे] मृदु । स्त्रीन. इच्छा। लिंखय देखो लंख। लालस वि. लम्पट । लिंग सक [लिङ्ग] जानना । गति करना । लाला स्त्री. लार। आलिंगन करना । - लालिअ देखो ललिअ। लिंग न [लिङ्ग] चिह्न । दार्शनिक और साधु लालिच (अप) पुं[नालिच] वृक्ष-विशेष । का अपने धर्म के अनुसार वेष । अनुमान लालिल्ल वि [लालावत् लारवाला । प्रमाण का साधक हेतु । पुंश्चिह्न । पुंलिंग लाव सक [लापय्] बुलवाना, कहलाना । आदि शब्द । °द्धय पुं [ध्वज] । जीव लाव देखो लावग। पुं. वेषधारी साधु । लावंज न [दे] सुगन्धी तृण, उशीर, खस । लिंगि वि [लिङ्गिन्] साध्य हेतु से जानी जाती लावक । पुं. पक्षि-विशेष । वि. काटनेवाला ।। वस्तु । किसी धर्म के वेष को धारण करने लावग वाला साधु । लावणि वि [लावणिक] लवण से संस्कृत । | लिंगिय वि लैंगिक] अनुमान प्रमाण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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