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________________ ६८६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष रोंच-रोहगुत्त रोंच सक [पिष्] पीसना । | रोमस वि [रोमश] रोमवाला । रोक्कम वि [दे] प्रोक्षित । रोमूसल न [दे] जघन, नितम्ब । रोक्कणि ) वि [दे] शृंगी। नृशंस, रोर पु. चौथे नरक का एक आवास । रोक्कणिअ निर्दय । रोर वि [दे] रंक। रोग .बीमारी । एक ब्राह्मण-जातीय श्रावक । रोरु पु. सातवें नरक का एक नरका वास । रोगिणिआ स्त्री रोगिणिका] रोग के कारण रोरुअ पुं [रोरुक, रौरव रत्नप्रभा नरक का ली जाती दीक्षा। दूसरा नरकेन्द्रक । रत्नप्रभा का तेरहवाँ रोघस वि [दे] रंक । नरकेन्द्रक । सातवें नरक का एक नरकावास । रोच्च देखो रोंच । चौथे नरक का एक नरकावास । रोज्झ पुं [दे] ऋश्य, पशु-विशेष । रोल पु[दे] कलह । रव, कोलाहल , कलकल रोट्ट पुन. [दे] चावल आदि का आटा । आवाज । रोट्टग पु[दे] रोटी। रोलंब पु [दे. रोलम्ब] भ्रमर । रोला स्त्री. छन्द-विशेष । रोड सक [दे] रोकना । अनादर करना । रोव देखो रुअ = रुद् । हैरान करना। रोव पु [दे. रोप] पौधा । रोड न [दे] गृह-प्रमाण । रोडी स्त्री [दे] इच्छा। व्रणी की शिबिका । रोवण न [रोपण] वपन । रोविअ वि [रोपित] बोया हुआ । स्थापित । रोत्तव्व देखो रुअ = रुद् का कृ.। | रोविंदय न [दे] गेय-विशेष, एक गान । रोद्द [रौद्र] अहोरात्र का पहला मुहूर्त । । रोविर वि [रोपयितु] बोनेवाला । एक नृपति, तृतीय बलदेव और वासुदेव का रोस देखो रूस।। पिता, अलंकार-शास्त्र का एक रस । वि. रोस पुं [रोष] गुस्सा । इत्त, °इंत वि दारुण । न. ध्यान-विशेष, हिंसा आदि क्रूर [°वत्] रोषवाला। कर्म का चिन्तन । रोद्द पु [रुद्र] । देखो रुद्द = रुद्र । रोसविअ वि [रोषित] कोपित । रोद्ध वि [दे] कूणिताक्ष । न. मल । | रोसाण सक [मृज् ] मार्जन करना । रोह अक [रुह.] उत्पन्न होना । रोम पुन [रोमन्] बाल । 'कूव पु [°कूप] रोह देखो रुंध। लोम का छिद्र । रोह पु [रोध] घेरा, नगर आदि का सैन्य से रोम न. खान में होता लवण । रोमंच पु [रोमाञ्च] भय या हर्ष से रोओं का वेष्टन । रुकावट । कैद । उठ जाना, पुलक । रोह पु [रोधस्] तट । रोमंथ । अक [रोमन्थय] पगुराना, रोह पु. एक जैन मुनि । प्ररोह, व्रण आदि का रोमंथाअ , जुगाली करना। । सूख जाना । वि. रोहक । रोमग । पुं [रोमक] अनार्य देश-विशेष, | रोह [दे] प्रमाण । नमन । मार्गण । राह ! [द] प्रमाण रोमय । रोम देश । उसकी मनुष्य-जाति । रोहग वि [रोधक] घेरा डालनेवाला, अटरोमय पु [रोमज] रोम की पाँखवाला पक्षी । रोमराइ स्त्री [दे] जघन, नितम्ब । रोहग [रोहक] एक नट-कुमार । रोमलयासय न [दे] पेट, उदर । | रोहगुत्त [ रोहगुप्त ] एक जैन मुनि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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