SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 700
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८१ रिंडी-रीम संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष रिडी स्त्री [दे] कन्थाप्राया, कन्था की तरह । न्तिक देवों का एक विमान । का फटा-टूटा आच्छादन-वस्त्र । रिट्टि स्त्री[रिष्टि]तलवार । अशुभ । पुं. रन्ध्र । रिक्क वि [दे] थोड़ा। रिड सक [मण्डय] विभूषित करना । रिक्क देखो रित्त = रिक्त । रिण न[ऋण] करजा या कर्ज । जल । दुर्ग । रिक्किम वि [दे] सड़ा हुआ। दुर्ग-भूमि । फरज । देखो अण = ऋण । रिक्ख अक [रिङ्ख्] चलना । रिणिअ वि [ऋणित] करजदार । रिक्ख वि [दे] वृद्ध । पुं. वृद्धता । रिते अ [ऋते] सिवाय ।। रिक्ख पुं [ऋक्ष] भालू, श्वापद । न. नक्षत्र । रित्त वि [रिक्त] खाली । न. अभाव । पहपथ] आकाश । राय पराज] | रित्तूडिअ वि [दे] शातित, झड़वाया हुआ। वानर वंश का राजा। रित्थ न [रिक्थ] धन । रिक्खण न [दे] उपलम्भ, अधिगम । कथन । रिद्ध वि [ऋद्ध] ऋद्धि-संपन्न । रिक्खा देखो रेहा = रेखा। रिद्ध वि [दे] पक्व, पक्का । रिद्धि पुंस्त्री [दे] समूह, राशि । रिग । अक [रिङग्] धीरे-धीरे जमीन से रिग्ग , रगड़ खाते चलना । प्रवेश करना । रिद्धि स्त्री [ऋद्धि] संपत्ति, वैभव । वृद्धि । रिच स्त्रीन. देखो रिउ = ऋच् । स्त्री 'चा। देव-विशेष । ओषधि-विशेष । छन्द-विशेष । रिच्छ वि [दे] वृद्ध । °म, ल्ल वि ["मत्] समृद्ध । °सुंदरी स्त्री [°सुन्दरी] एक वणिक् कन्या । रिच्छ देखो रिक्ख = ऋक्ष। °ाहिव पु रिपु देखो रितु । [°ाधिप] राम का सेनापति जाम्बवान् । रिप्प न [दे] पृष्ठ । रिच्छभल्ल पुं[दे] भालू । रिजु देखो रिउ = ऋच् । रिभिय न [रिभित] एक प्रकार का नाट्य । रिजु देखो रिउ = ऋजु । स्वर का घोलन । रिज्ज देखो रिअ = री। रिमिण वि [दे] रोने की आदतवाला । रिज्जु देखो रिउ = ऋजु । रिम्सा स्त्री. मैथुनेच्छा। रिज्झ अक [ऋध्] बढ़ना । खुशी होना। रिरिअ वि [दे] लीन । रिट्ठ पुं [दे. अरिष्ट] दुरित । दैत्य-विशेष । | रिल्ल अक [दे] शोभना । काक । नेमि पुं. बाईसवें जिनदेव । रिवु देखो रिउ = रिपु । रिट्र पुं [रिष्ट रिष्ट नामक विमान का निवासी रिसभ । पु[ऋषभ] स्वर-विशेष । अहोदेव-विशेष । वेलम्ब और प्रभजन नामक रिसह ) रात्र का अठाईसा मुहूर्त । इन्द्रों के लोकपाल । एक दप्त साँढ, जिसको संहत अस्थि-द्वय के ऊपर का वलायकार श्रीकृष्ण ने मारा था । पक्षि-विशेष । न. रत्न- | वेष्टन-पट्ट । देखो उसभ । विशेष । एक देव-विमान । पुन. रीठा-फल । | °रिसह पु [ ऋषभ] श्रेष्ठ । °पुरी स्त्री. कच्छावती-विजय की राजधानी। रिसि पु[ऋषि] मुनि, संत । घाय पु[°घात] मणि पुं. श्याम रत्न-विशेष। __ मुनि-हत्या। रिट्ठा स्त्री [रिष्टा] महाकच्छ विजय की राज- रिह सक [प्र+विश्] प्रवेश करना । धानी। पांचवी नरक-भूमि । दारू । री । अक. जाना, चलना। रिटाभ न [रिष्टाभ] एक देव-विमान । लोका- | रीअ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy