SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 696
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रस-रहाविअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ६७७ शास्त्र प्रसिद्ध शृंगार आदि नव रस । पानी। रह सक [रह ] छोड़ना। सुख । आसक्ति, दिलचस्पी । प्रेम । मद्य रह पुं [रभस] उत्साह । देखो रहस = रभस । आदि द्रव पदार्थ । पारा । भुक्त अन्न का प्रथम रह पुन [रहस्] एकान्त, निर्जन । प्रच्छन्न । परिणाम, शरीरस्थ धातु-विशेष । कर्म-विशेष । रह पुन [रथ] यान-विशेष, स्यन्दन । पुं. एक छन्दःशास्त्र-प्रसिद्ध प्रस्तार- विशेष । माधुर्य जैन महर्षि । कार पुं. बढ़ई। °चरिया आदि रसवाला पदार्थ । नाम न [°नामन्] स्त्री [°चर्या] रथ को हाँकना । °जत्ता स्त्री कर्म-विशेष । °न्न वि ["ज्ञ] रस का जानकार। ["यात्रा] उत्सव-विशेष । °णेउर न भेइ वि [भेदिन्] रसवाली चीजों का भेल- [°नूपुर नगर-विशेष । णेउरचक्कवाल न सेल करनेवाला । "मंत वि [°वत्] रस-युक्त। [नूपुरचक्रवाल वैताढ्य पर्वत पर स्थित वई स्त्री [वती] रसोई । ल, °ालु वि एक नगर । 'नेमि पुं. भगवान् नेमिनाथ का [°वत् रसवाला । °वण पुं [पण]मद्य की भाई । नेमिज्ज न [°नेमीय] उत्तरादूकान । ध्ययन सूत्र का बाईसवाँ अध्ययन । मुसल पुं. रस पुन. सार, निचोड़। राजा कोणिक और राजा चेटक का संग्राम । रसण न [रसन जोभ । प्यार देखो "कार। रेणु पुं. आठ त्रसरेणु रसणा स्त्री [रसना] मेखला, कांची । जीभ । का एक परिमाण । 'वीरउर, °वीरपुर न. "ल वि [°वत्] रसनावाला। एक नगर । रसद्द न [दे] चूल्हे का मूल भाग । रहई अ [रभसा] वेग से। रसा स्त्री. पृथिवी। रहंग पुंस्त्री [रथाङ्ग] चक्रवाक पक्षी । स्त्री. रसाउ। पुं [दे.रसायुष् ] भ्रमर । °गी : न. पहिया । रसाय, पुं [दे] । रहट्ट देखो अरहट्ट । रसायण न [रसायन] औषध-विशेष । रहण न [दे रहना, स्थिति, निवास । रसाल पुं. आम्र-वृक्ष । रहण न [रहन] त्याग । विराम । रसाला स्त्री [दे. माजिता, पेय-विशेष । रहमाण पुं [दे] यवन मत का एक तत्त्वरसालु पं [दे.] मज्जिका, राज-योग्य पाक वेत्ता । खुदा, परमेश्वर । विशेष दो पल घी, एक पल मध, आधा रहस पुं [रभस] औत्सुक्य । वेग। हर्ष । आढक दही, बीस मिरचा तथा दस पल पूर्वापर का अविचार । चीनी या गुड़ से बनता पाक । रहस देखो रहस्स = रहस्य । रसि देखो रस्सि। रहसा अ [रभसा] वेग से । रसिअ विरिसिकारसज्ञ, शौकीन । रस-यक्त। रहस्स वि [रहस्य] गुह्य । एकान्त में रसिआ स्त्री [दे. रसिका] पीब, व्रण से उत्पन्न । न. तत्त्व, तात्पर्य । अपवाद-स्थान । निकलता गंदा सफेद खून । छन्द-विशेष ।। रहस्स वि [ ह्रस्व ] लघु । एकमात्रिक रसिंद पुं [रसेन्द्र] पारा। स्वर । रसिग देखो रसिअ = रसिक । रहस्स न [ह्रास्व] लाघव । °मंत वि [°वत्] रसोइ (अप) देखो रस-वई। लघु । रस्सि पुंस्त्री [रश्मि] किरण । रज्जु । रहस्सिय वि [राहसिक] प्रच्छन्न, गुप्त । रह अक [दे] रहना। रहाविअ वि [दे] स्थापित, रखवाया हुआ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy