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________________ ६४६ मयंग । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ममाय-मयण ममाय वि [ममाय] ममत्व करनेवाला। °च्छी स्त्री [°Tक्षी] हरिण के समान-नेत्रममि वि [मामक] मेरा, मदीय । वाली । °णाह पुं ["नाथ] सिंह । °णाहि ममूर सक [चूर्णय] चूरना । पुंस्त्री [°नाभि] कस्तूरी। 'तण्हा स्त्री मम्म पुन [मर्मन्] जीवन स्थान । सन्धि ["तृष्णा] । तण्हिआ स्त्री ["तृष्णिका] । स्थान । मरण का कारण-भत वचन आदि। °तिहा। तिण्हिआ धूप में जल भ्रान्ति । गुप्त बात । तात्पर्य । °य वि [ग] मर्म- धुत्त पुं[°धूर्त सियार । प्राय पुं [राज] वाचक (शब्द)। सिंह । °लंछण पुं [°लाञ्छन] चन्द्रमा । मम्मक्क पुं [दे] गर्व, अहंकार । "लोअणा स्त्री [°रोचना] गोरोचन, पीतमम्मक्का स्त्री [दे] उत्कण्ठा । वर्ण द्र व्य-विशेष । रि पुं. सिंह । °ारिदमण मम्मण न [मन्मन] अव्यक्त वचन । वि. पं [°ारिदमन] राक्षस-वंश का एक लंकाअव्यक्त वचन बोलनेवाला । पति । °ाहिव पुं [°ाधिप] सिंह । देखो मिअ, मम्मण पुं [दे] मदन । रोष । मिग = मृग। मम्मणिआ स्त्री [दे] नील मक्षिका । मयंक । देखो मिअंक। मम्मर पुं [मर्मर] शुष्क पत्तों की आवाज । मम्मह पुं [मन्मथ] कामदेव । मयंग देखो मायंग = मातंग । मम्मी स्त्री [दे] मामी। | मयंग पुं [मृदङ्ग] वाद्य-विशेष । मय न [मत] मनन, ज्ञान । अभिप्राय । दर्शन, मयंगय पुं [मतङ्गज] हाथी । धर्म । वि. माना हुआ। अभीष्ट । 'न्नु वि | मयंगा स्त्री [मृतगङ्गा] जहाँ पर गंगा का [°ज्ञ] दार्शनिक । प्रवाह रुक गया हो। मय पुं. ऊँट, खच्चर । एक विद्याधर-नरेश । | मयंतर न [मतान्तर] अन्य मत । °हर पुं [°धर] ऊँटवाला। मयंद देखो मईद = मृगेन्द्र । मय वि [मत] मरा हुआ, जीव-रहित । किच्च मयंध वि [मदान्ध] मद से अन्धा बना हुआ। न [°कृत्य] मरण के उपलक्ष में किया जाता | मयग वि [मृतक] मरा हुआ। न. मुर्दा । श्राद्ध आदि कर्म। °किच्च न [°कृत्य] श्राद्ध आदि कर्म ।। मय पुंन [मद] अभिमान । हाथी के गण्ड- मयड पंदे बगीचा। स्थल से झरता प्रवाही। आमोद । कस्तूरी। मयण पुं [मदन] कन्दर्प । लक्ष्मण का एक मत्तता । नद । शुक्र । करि पुं [करिन्] पुत्र । एक वणिक्-पुत्र । छन्द का एक भेद । मदवाला हाथी । °गल वि [°कल] मद से वि. मादक । न. मोम । घरिणी स्त्री उत्कट । पुं. हाथी । छन्द-विशेष । 'णासणी [गृहिणी] रति । 'तालंक पुं [°तालङ्क] स्त्री["नाशनी] विद्या-विशेष । धम्म [°धर्म] छन्द-विशेष । तेरसी स्त्री [त्रयोदशी] विद्याधर-वंश का एक राजा । °मंजरी स्त्री चैत्र मास की शुक्ल त्रयोदशी। °दुम पुं [°मञ्जरी] एक स्त्री। 'वारण पुं. मदवाला [°द्रुम]वृक्ष-विशेष । फल न. मैनफल। मंजरी हाथी। स्त्री[°मञ्जरी] राजा चण्डप्रद्योत की एक स्त्री। मय पुं [मृग] हरिण । पशु । हाथी की एक | एक श्रेष्ठि-कन्या। रेहा स्त्री [°रेखा] एक जाति । नक्षत्र-विशेष । कस्तूरी । मकर- युवराज की पत्नी। °वेय पुं [°वेग] पुरुषराशि । अन्वेषण । याचन । यज्ञ-विशेष । । विशेष । °सुंदरी स्त्री [°सुन्दरी] राजा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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