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________________ मग्गिल्ल-मज्झ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ६४१ पूर्णिमा । मगसिर की अमावस । । मच्छिका (मा) देखो माउ = मातृ । मग्गिल्ल वि [दे] पाश्चात्य, पीछे का । मच्छिगा। मग्गु पुं [मद्गु] पक्षि-विशेष, जल काक । मच्छिया स्त्री [मक्षिका] मक्खी । मघ पुं [मघ] मेघ । मच्छी मघमघ अक [ प्रस] फैलना, गन्ध का मज्ज सक [मद्] अभिमान करना । पसरना । मज्ज अक [मस्ज् स्नान करना । डूबना । मघव पुं [मघवन्] इन्द्र , देवराज। तृतीय | मज्ज सक [मृज्] साफ करना । चक्रवर्ती राजा। मज्ज न [मद्य] दारू। 'इत्त वि [°वत्] मघवा स्त्री. छठवीं नरक-भूमि । मदिरा-लोलुप । °व वि [प] मद्य-पान । मघा स्त्री. ऊपर देखो । महा = मघा । वीअ वि [°पीन] जिसने मद्य-पान किया . मघोण [दे मघवन्] देखो मघव । हो। मच्च अफ [मद्] गर्व करना । मज्जग वि [माद्यक] मद्य-सम्बन्धी । मच्च (अप) देखो मंच। मज्जण न [मज्जन] स्नान । डूबना । °घर मच्च न [३] मल, मैल । न [°गृह] स्नान-गृह । 'धाई स्त्री [ धात्री] मच्च ) पुं [मर्त्य] मनुष्य । °लोअ पुं पाली स्त्री. स्नान कराने-वाली दासी । मच्चिअ ) [°लोक] मनुष्यलोक । °लोईय मज्जण न [मार्जन] साफ करना, शुद्धि । वि. वि [°लोकीय] मनुष्य-लोक-सम्बन्धी । मार्जन करनेवाला । °घर न [°गृह] शुद्धिमच्चिअ वि [दे] मल-युक्त । गृह । मच्चु पुं [मृत्यु] मौत । यम, यमराज । रावण मज्जर देखो मंजर। का एक सैनिक । मज्जा स्त्री [दे. मर्या] मर्यादा । मच्छ पुं [मत्स्य] मछली । राहु । देश- मज्जा स्त्री मज्जा धातु-विशेष, चर्बी, हड्डी विशेष । एक छन्द । °खल न. मत्स्यों को के भीतर का गूदा। सुखान का स्थान । बध पु । बन्ध] मज्जाइल्ल वि [मर्यादिन] मर्यादावाला । मच्छीमार । मज्जाया स्त्री [मर्यादा] न्याय्य-पथ-स्थिति, मच्छ पुन [मत्स्य] मत्स्य के आकार की एक व्यवस्था । सीमा, अवधि । किनारा । वनस्पति । मज्जार पुंस्त्री [मार्जार] बिलाव । वनस्पतिमच्छंडिआ स्त्री [मत्स्यण्डिका] खण्डशर्करा । विशेष । मच्छंडी स्त्री [मत्स्यण्डी] शक्कर । मज्जार पुं [मार्जार] वायु-विशेष । मच्छंत मंथ = मन्थ् का कवकृ. । मजिअ वि [दे] अवलोकित, निरीक्षित । मच्छंध देखो मच्छ-बंध। पीत । मच्छर पुं [ मत्सर ] ईर्ष्या । कोप। वि मज्जिआ स्त्री [मार्जिता] रसाला, भक्ष्यईर्ष्यालु । क्रोधी । कृपण । विशेष-दही, शक्कर का श्रीखण्ड । मच्छर न [मात्सर्य] द्वेष । मज्जोक्क वि [दे] अभिनव, नूतन ।। मच्छल देखो मच्छर = मत्सर । मज्झ न [मध्य] अन्तराल, बीच । शरीर का मच्छिअ देखो मक्खिअ = माक्षिक । अवराव-विशेष । अन्त्य और परार्घ्य के बीच मच्छिअ वि [मात्स्यिक] मच्छीमार । की गंख्या । वि. मध्यवर्ती । ‘एस पुं [°देश] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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