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________________ ४६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अणुसूआ-अणोत्तप्प करण करना। | अणेअ वि [अनेक] देखो अणेक्क । अणुसआ स्त्री [दे] शीघ्र ही प्रसव करनेवाली | अणेकज्झ वि [दे] चञ्चल । स्त्री। अणेक्क । वि [अनेक] एक से अधिक । अणुसूय वि [अनुस्यूत] अनुविद्ध, मिला हुआ। अणेग ) °करण न पर्याय, धर्म, अवस्था । अणुसूयग वि [अनुसूचक जासूस की एक प्राइय वि [ रात्रिक] अनेक रातों में होनेश्रेणी । वाला, अनेक रास संबन्धी (उत्सवादि)। अणुसेढि स्त्री [अनुश्रेणि] सीधी लाइन, न. अणेगंत पुं [अनेकान्त] अनिश्चय, नियम का लाइनसर । अभाव । °वाय पुं [°वाद] स्याद्वाद, जैनों अणुसोय पुं [अनुस्रोतस्] अनुकल प्रवाह । का मुख्य सिद्धान्त । वि. अनुकल । न. प्रवाह के अनुसार। अणेगावाइ वि [अनेकवादिन] पदार्थों को अणुसोय सक [अनु + शुच्] सोचना, चिन्ता सर्वथा अलग-अलग माननेवाला, अक्रियावादकरना । अफसोस करना । मत का अनुयायी। अणुस्सर देखो अणुसर = अनु + स्मृ । अणेच्छंत वि [अनिच्छत्] नहीं चाहता अणुस्सर देखो अणुसर = अनु + सृ । हुआ। अणुस्सार पुं [अनुस्वार] अनुस्वार, बिन्दी । अणेज वि [अनेज] निष्कम्प । वि. अनुस्वारवाला अक्षर । अणेज वि [अज्ञेय] जानने के अयोग्य, जानने अणुस्सुय वि [अनुत्सुक] उत्कण्ठा-रहित । के अशक्य । अणुस्सुय वि [अनुश्रुत] अवधारित, सुना | अणेलिस वि [अनीदृश] अनुपम, असाधारण । हुआ । न. भारत-आदि पुराण-शास्त्र । | अणेवंभूय वि [अनेवम्भूत ] विलक्षण, अणुहर सक [अनु + ह] नकल करना ।। विचित्र। अणुहव सक [ अनु + भू ] अनुभव करना । । | अणस देखो अण्णेस । अणुहारि वि [अनुहारिन्अनुकरण करने | अणेसणा स्त्री [अनेषणा] एषणा का अभाव । वाला। अणेसणिज्ज वि [अनेषणीय] अकल्पनीय, जैन अणुहाव देखो अणुभाव । साधुओं के लिए अग्राह्य (भिक्षा-आदि)। अणुहियासण न [अन्वध्यासन] धैर्य से सहन | अणोउया स्त्री [अनृतुका] जिसको ऋतु-धर्म करना। न आता हो वह स्त्री। अणुहु सक [अनु + भू] अनुभव करना।। अणोक्वंत वि [अनवक्रान्त] जिसका पराभव अणुहुंज सक [ अनु + भुञ्ज ] भोग करना। न किया गया हो वह । अणुहुत्त देखो अणुहू। 'अणोग्गह देखो अणुग्गह - अनवग्रह । अणुहअ वि [अनुभूत] जिसका अनुभव किया | अणोग्घसिय वि [अनवर्षित] अमाजित । गया हो वह । न. अनुभव । अणोज्ज वि [अनवद्य] निर्दोष, शुद्ध । अणुहो सक [अनु + भू] अनुभव करना ।। अणोज्जंगी स्त्री [अनवद्याङ्गी] भगवान् अणूकप्प देखो अणुकप्प । महावीर की पुत्री का नाम । अणूण वि [अनून] अधिक । | अणोज्जा स्त्री [अनवद्या] ऊपर देखो। अणूय ! पुं [अनूप ] अधिक जलवाला अणोणअ वि [अनवनत] नहीं झुका हुआ । अणोत्तप्प देखो अणुत्तप्प । अणूव , देश। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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