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________________ ६१८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष बुहुक्ख-बोलग बुहक्ख सक [बुभुक्ष] भूख लगना। । बोंदिया स्त्री [दे] शाखा । बू सक [बू] बोलना, कहना । देखो बव, बुव । बोकड । पुं [दे] बकरा । बूर पुं. वनस्पति-विशेष । °णालिया स्त्री | बोक्कड , [नालिका] बूर भरी नली। बोक्कस पुं. अनार्य देश-विशेष । वर्णसंकर जातिबूल वि [दे] मक, वाचा-शक्ति से रहित । विशेष, निषाद से अंबष्ठी की कुक्षि में उत्पन्न । बोक्कसालिय पुं[दे] तन्तुवाय । बूह सक [ बृंह, ] पुष्ट करना। बोक्कार देखो बुक्कार। बे देखो बि । °आसी (अप) स्त्री [°अशीति] बोक्किय न [बूत्कृत] गर्जन, गर्जना । बयासी । इंदिय वि [इन्द्रिय] त्वचा बोगिल्ल वि [दे] चितकबरा । और जीभ ये दो ही इन्द्रियवाला प्राणी । बोट्ट सक [दे] उच्छिष्ट करना, जूठा करना । °हिय [द्वयाहिक] दो दिन का । बोड वि [दे]धार्मिक, धर्मिष्ठ । तरुण, मुण्डित । बेंट देखो बिंट। बोडधेर न [दे] गुल्म-विशेष । बेंत देखो बू का वकृ.। बेंदि देखो बे-इंदिय। बोडिय पुं [बोटिक] दिगम्बर जैन संप्रदाय । बे? देखो बिट्ठ। वि. उसका अनुयायी। बोडिय वि [दे] मुण्डित-मस्तक । बेड बेडा (पदे। बोडर न [दे] दाढ़ी-मूंछ । बेडिया | स्त्री [दे] नौका, जहाज । बोड्डिआ स्त्री [दे] कपर्दिका, कौड़ी। बेडी बोदर विदे] विशाल । बेड्डा स्त्री दे] दाढ़ी-मूछ के बाल । बोदि देखो बोंदि। बेदोणिय वि [वैद्रोणिक] दो द्रोण का। बोद्दह [दे] देखो बोद्रह । बेभेल पुं.विन्ध्याचल के नीचे का एक संनिवेश । | बोद्ध वि [बौद्ध] बुद्ध भक्त । बेमासिय वि [द्वैमासिक दो मास का । बोद्धव्व बुज्झ का कृ. । बेलि स्त्री [दे] स्थूणा, खूटा । बोद्रह वि [दे] जवान । बेल्ल देखो बिल्ल । बोधण न [बोधन] बोध, शिक्षा, उपदेश । बेल्लग पुं[दे] बलीवर्द । बोधि देखो बोहि । सत्त पुं[°सत्त्व] सम्यग् बेस अक [विश्, स्था] बैठना । दर्शन को प्राप्त प्राणी, अर्हन् देव का भक्त बेसक्खिज्ज न [दे] द्वेष्यत्व, रिपुता । जीव। बेसण न [दे] लोकनिन्दा । बोब्बड वि [दे] मूक । बेहिम वि [दे. द्वैधिक] दो टुकड़े करने-योग्य, बोर न [बदर] फल-विशेष, बेर । खण्डनीय । बोरी स्त्री [बदरी] बेर का गाछ । बोंगिल्ल वि [दे] अलंकृत । पुं. आडम्बर । बोल सक [बोडय् ] डुबाना । बोंटण न [दे] चूचुक, स्तन का अन भाग। बोल अक [व्यति + क्रम्] पसार होना, बोंड न [दे] चचुक, स्तन-वृन्त । कपास का | गुजरना। सक. उल्लंघन करना। देखो फल । °य न [°ज] सूती कपड़ा। वोल = गम् । बोंद न [दे] मुख । बोल पुं [दे] कलकल, कोलाहल । बोंदि स्त्री [दे] रूप । मुंह । देह । | बोलग पुन [दे. ब्रोड] डूबना । खोंचाव । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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