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________________ ६०६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष फुक्का-फेडावणिय फुक्का स्त्री [दे] मिथ्या । फूंक । फुरिअ वि [दे] निन्दित । फुक्कार पुं [फूत्कार] फुफकार । फुरुफुर देखो फुरफुर। फुक्की स्त्री [दे] धोबिन । फुल देखो फुड = स्फुट् । फुग्ग स्त्रीन [दे. स्फिच्] कटि-प्रोथ ।। फुल (अप) देखो फुर = स्फुर् । फुग्गफुग्ग वि [दे] विकीर्ण रोमवाला, परस्पर फुल (अप) देखो फुड = स्फुट । असम्बद्ध-बिखरे हुए केशवाला । फुल (अप) देखो फुल्ल = फुल्ल । फुट ) अक [स्फुट, भ्रंश] विकसना, प्रकट | फुलिंग पुं [स्फुलिङ्ग] अग्नि-कण । फुट्ट होना । फूटना, फटना । नष्ट होना। फुल्ल अक [ फुल्ल ] फूलना, पुष्प-युक्त फुट्ट वि [स्फुटित, भ्रष्ट] टूटा हुआ, विदीर्ण । होना। भ्रष्ट, पतित । विनष्ट । फुल्ल देखो कम = क्रम् । फु? देखो पुट्ठ = स्पृष्ट । | फुल्ल न. पुष्प । पुष्पित । °मालिया स्त्री फुड देखो फुट्ट - स्फुट, भ्रंश् । [°मालिका मालिन । °वल्लि स्त्री. पुष्पफुड देखो पुट्ठ = स्पृष्ट । प्रधान लता। फुड वि [स्फुट] स्पष्ट, विशद । फुल्लंधय पुं [पुष्पन्धय] भंवरा । फुडा स्त्री [स्फुटा] अतिकाय-नामक महोर फुल्लंधुअ पुं [दे] भौंरा। गेन्द्र की एक पटरानी, इन्द्राणी-विशेष। फुल्लग न [फुल्लक] ललाट का आभूषण । फुडा स्त्री [फटा] साँप की फन । फुल्लया स्त्री [फुल्ला, पुष्पा] वल्ली-विशेष, फुडिअ वि [स्फुटित] विकसित । फूटा हुआ, पुष्पाह्वा, शतपुष्पा, सोया का गाछ। विदीर्ण । विकृत । फुल्लवड न [दे] मदिरा-वामक फूल । फुडिअ (अप) देखो फुरिअ। फुल्लिम पुंस्त्री [फुल्लता] विकास, फूलन । फुडिआ स्त्री [स्फोटिका] फुनसी। फुस सक [भ्रम्] भ्रमण करना । घूमाना । फुड्ड देखो फुट्ट। फुस सक [मृज्] मार्जन करना, पोंछना। फुन्न वि [दे. स्पृष्ट] छूआ हुआ। फुस सक [स्पृश्] स्पर्श करना, छूना। फुप्फुस न [दे] फेफड़ा। फुसिअ पुंन [पृषत] बिन्दु. बिन्दु-पात । फुम सक [भ्रम्] भ्रमण करना । फुसिआ स्त्री [दे] वल्ली-विशेष । फुम सक [दे. फूत् + कृ] फूंक मारना। फुस्स देखो फुस = स्पृश् । फुर अक[स्फुर]फरकना, हिलना । तड़फड़ना । फूअ पुं [दे] लोहार। | फूम देखो फुम। विकसना, खिलना। प्रकाशित होना, प्रकट होना, स्फूर्तियुक्त होना । फूल देखो फुल्ल = फुल्ल । फुर सक [अ + ह] अपहरण करना। फेक्कार पुं [फेत्कार] शृगाल की आवाज । फुर पुं [स्फुर] शस्त्र-विशेष । चिल्लाहट । फुर (अप) देखो फुड = स्फुट । फेड सक [स्फेटय] विनाश करना। दूर फुरफुर अक [पोस्फुराय] खूब काँपना, । हटाना। परित्याग करना । उद्घाटन थरथराना, तड़फड़ाना । करना। फुरिअ वि [स्फुरित] कम्पित, हिला हुआ, फेडावणिय न [दे]विवाह-समय की एक रीति, फरका हुआ, चलित । दोप्त । । वधू को प्रथम बार लजा-परिहार के वक्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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