SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 623
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६०४ फरुस वि[परुष] कर्कश, कठिन । न. कुवचन, निष्ठुर वाक्य | फरुस पुं [दे. परुष] कुम्भकार | 'साला स्त्री [शाला] कुम्भकार-गृह । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष फरुसिया स्त्री [परुषता, पारुष्य ] कर्कशता, निष्ठुरता । फल अक [फल्] फलना, फलान्वित होना । फल पुंन. वृक्षादि का शस्य । लाभ । कार्य । इष्टानिष्टकर्म का शुभ या अशुभ परिणाम | उद्देश्य | त्रिफला | जायफल | बाण का अग्रभाग । फाल । दान । मुष्क, अण्डकोष । ढाल । कक्कोल, गन्ध-द्रव्य- विशेष । अग्रभाग । °मंत, ॰व वि [°वत्] फलवाला । “वड्ढिय, "वद्धिय न[°वर्द्धिक] फलोधि - नामक मरुदेशीय नगर । वहाँ का जैन मन्दिर । फलअ) पुंन [ फलक] काष्ठ आदि का तख्ता । फलग । जुए का एक उपकरण । ढाल | देखो फल । " सज्जा स्त्री [ शय्या ] काष्ठ का तख्ता जिस पर सोया जाय । फलण न [ फलन] फलना । फलह पुंन [ फलह] फलक, काठ आदि का तख्ता । फलहिआ स्त्री [फलहिका, फलही ] काठ फलही आदि का तख्ता फलही स्त्री [दे] कपास । कपास की लता । फलाव सक [फलाय् ] सफल करना । फलावह वि [ फलावह] फलप्रद । फलासव पुं. मद्य-विशेष | फलिआरी स्त्री [दे] दूर्वा, कुश तृण । फलिणी स्त्री [फलिनी ] प्रियंगु-वृक्ष | फलिह पुं [परिघ] अर्गला । लोहे का मुद्गर आदि अस्त्र । घर । काच घट | ज्योतिषशास्त्र प्रसिद्ध एक योग । Jain Education International फरुस - फारक्क फलिह पुं [ स्फटिक ] स्फटिक मणि । देव - विमान- विशेष । रत्नप्रभा पृथिवी का एक स्फटिकमय काण्ड | गन्धमादन पर्वत का कूट 1 कुण्डल पर्वत का कूट । रुचक पर्वत का शिखर । गिरि पुं. कैलास पर्वत । फलिह पुं. काठ आदि का तख्ता | फलिह पुंन [स्फटिक ] आकाश । फलहन [] कपास का टेंटा । फलिहंस पुं [फलिहंसक ] वृक्ष - विशेष । फलिहा स्त्री [ परिखा] खाई, किले या नगर के चारों ओर की नहर । फलिहि देखो परिहि । फलिही देखो फलही = दे । फली स्त्री. छोटी तख्ती । फलोव फलोवा फल्ल वि [फल्य ] सूती कपड़ा । फव्वीह सक [ लभ् ] यथेष्ट लाभ होना । फसल वि [दे] सार, चितकबरा | स्थासक । फसलाणिअ फसलिअ वि [ फलोपग ] फल प्राप्त, फल - सहित । वि [ दे] जिसने विभूषा की हो } फागुण देखो फग्गुण । फागुणी देखो फग्गुणी । फाड सक [पाटय्, स्फाटय् ] फाड़ना । फलि पुं [दे] लिंग, चिह्न | वृषभ । फलिअ न [दे] वायन, बायन, भोजन आदि फाणिअ न [ फाणित ] गुड़ | गुड़ का विकार का बाँटा जाता उपहार । विशेष, पानी से द्रावित गुड़ । क्वाथ । फाय वि[स्फीत ] वृद्ध | विस्तीर्ण । ख्यात | फार वि[स्फार] बहुत । विशाल, विपुल । विस्तृत | फारक्क वि [ दे. स्फारक ] स्फरकास्त्र को धारण करनेवाला । वह । फल वि [दे] मुक्त । फाइ स्त्री [स्फाति] वृद्धि । फाईकय वि [ स्फीतीकृत] फैलाया हुआ । प्रसिद्ध किया हुआ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy