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________________ ५८६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पुंछणी-पुक्खल पुंछणी स्त्री [प्रोञ्छनी] पोंछने का एक छोटा पुंवउ पुंन [पुंवचस्] पुंलिंग शब्द । तृणमय उपकरण । पुंवेय पुं [पुंवेद] पुरुष को स्त्री-स्पर्श का पुंज सक [पुञ्ज, पुञ्जय] इकट्ठा करना। अभिलाष । उसका कारण-भूत कर्म।। फैलाना, विस्तार करना। पुंस सक [पुस्, मृज्] मार्जन करना, पोंछना । पुंज पुन [पुञ्ज] ढेर, राशि । पुंस° देखो पुं० । °कोइल, कोइलग पुं पुंजय पुंन [दे] कतवार । [°कोकिल] मरदाना कोयल, पिक । पुंजाय वि [दे] पिण्डाकार किया हुआ। पुंसद्द पुं [पुंशब्द] 'पुरुष' ऐसा नाम । पुंड पुं [पुण्ड्र ] विन्ध्याचल के समीप का भू- पुंसली स्त्री [पुंश्चली] कुलटा, व्यभिचारिणी । भाग। इक्षु-विशेष । वि. पुण्ड्र-देशीय । पुसिअ वि [पुसित] पोंछा हुआ। घवल । पुन. तिलक । देव-विमान-विशेष । पुक्क । सक [पूत् + कृ] पुकारना, डॉकना, °वद्धण न [°वर्धन] नगर-विशेष । देखो पुक्कर ) आह्वान करना। पोंड। पुक्कल देखो पुक्खल। पुंडइअ वि [दे] पिण्डाकार किया हुआ । पुक्का स्त्री. देखो पुक्कार = पूत्कार । पुंडरिक देखो पुंडरीअ। पुक्कार देखो पुक्कर । पुंडरिगिणी स्त्री [पुण्डरीकिणी] पुष्कलावती पुक्खर देखो पोक्खर = पुष्कर । 'कण्णिया विजय की एक नगरी। स्त्री [°कर्णिका] पद्म का बीज-कोश, कमल पुंडरिय देखो पुंडरीअ = पुण्डरीक, पौण्डरीक । । का मध्य भाग । °क्ख पुं [क्ष] विष्णु, पुंडरीअ पुं[पुण्डरीक] ग्यारह रुद्र पुरुषों में श्रीकृष्ण । काश्मीर का एक राजा । गय सातवाँ रुद्र । एक राजा, महापद्म राजा का न [°गत] वाद्य-विशेष का ज्ञान, कला. एक पुत्र । व्याघ्र, शार्दूल । पुन. तप-विशेष । विशेष । °द्ध न [°अर्ध] पुष्करवर नामक द्वीप श्वेत पद्म । कमल । देव-विमान । वि. सफेद ।। का आधा हिस्सा । °वर पुं. द्वीप-विशेष । °गुम्म न [°गुल्म] देव-विमान । °दह, °ह संवट्टग देखो पुक्खल-संवट्टय। वित्त पुं [°द्रह] शिखरी पर्वत पर एक महाह्रद।। देखो पुक्खलावट्टय। पुंडरीअ वि [पौण्डरीक] श्वेत-पद्म-सम्बन्धी। पुक्खरिणी देखो पोक्खरिणी। प्रधान । कान्त, श्रेष्ठ । न. सूत्रकृतांग सूत्र के पुक्खरोअ। पुं [पुष्करोद] समुद्र-विशेष । द्वितीय श्रुतस्कन्ध का पहला अध्ययन । देखो पुक्खरोद पोंडरीग । | पुक्खल पुं [पुष्कर] एक विजय, प्रान्त-विशेष, पुंडरीया स्त्री [पुण्डरीका] देखो पोंडरी।। जिसकी मुख्य नगरी का नाम ओषधि है । पुंडे अ [दे] जाओ। पद्य, कमल । पम-केसर। विभंग न पुंढ देखो पुंड। [विभङ्ग] पद्म-कन्द । °संवट्ट पुं[संवर्त] पुंढ पुं[दे] गर्त, गड़हा, गढा। मेघ-विशेष, जिसके बरसने से दस हजार नाग पुं [पुन्नाग] वृक्ष-विशेष, पुष्प-प्रधान वर्ष तक पृथिवी वासित रहती है। देखो एक वृक्ष-जाति, पुलाक, सुलतान चम्पक, पाटल | पुक्खर । का गाछ । श्रेष्ठ पुरुष । देखो पुन्नाम । | पुक्खल पुं [पुष्कल] एक विजय, प्रदेश । पुंपुअ पुं [दे] संगम । अनार्य देश । पुंस्त्री. उस देश में उत्पन्न, रहनेपुंभ पुंन [दे] नीरस, दाडिम का छिलका। वाला । वि. अत्यन्त । सम्पूर्ण । www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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