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________________ ५७८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पास-पाहुड तेईसवें जित-देव । भगवान् पार्श्वनाथ का पासादीय वि [प्रासादित] महलवाला । अधिष्ठायक यक्ष । न. कन्धे के नीचे का भाग, | पासाय पुन [प्रासाद] महल । वडिसय पुं पांजर । निकट । वञ्चिज्ज वि [°पित्यीय] | [वतंसक] श्रेष्ठ महल । भगवान् पाश्वनाथ की परम्परा में संजात । पासायवडेंसग पुं [प्रासादावतंसक] श्रेष्ठतम पास पुं [पाश] फाँसा । महल, प्रासाद-विशेष । पास न [दे] आँख । दांत । कुन्त, प्रास । वि. | पासाव पुं[दे] गवाक्ष । झरोखा । विशोभ, कुडौल । पुन, अन्य वस्तु का अल्प- पासासा स्त्री [दे] छोटा भाला। मिश्रण। पासि वि [पाश्विन्] पार्श्वस्थ, शिथिलाचारी °पास वि [पाश] निकृष्ट; जघन्य, कुत्सित । साधु । पासंगिअ वि [प्रासङ्गिक] आनुषंगिक । पासिद्धि देखो पसिद्धि। पासंड न [पासण्ड]पाखण्ड, असत्य धर्म । व्रत । पासिम वि [दृश्य] दर्शनीय, ज्ञेय । पासंदण न [प्रस्यन्दन] झरन, टपकना ।। पासिय वि [पाशिक] फांसे में फंसानेवाला । पासग वि [दर्शक] देखनेवाला । पासिय वि [स्पृष्ट] छुआ हुआ। पासग पुं पाशक] फाँसा । पासा, जुआ खेलने पासिय वि [पाशित] पाश-युक्त । का उपकरण-विशेष । पासिया स्त्री [पाशिका] छोटा पाश । पासग न [प्राशक] कला-विशेष । पासिया देखो पास = दृश् । पासणिअ वि [दे] साक्षी। पासिल्ल वि [पाश्विक] पास में रहनेवाला । पासणिअ वि [प्राश्निक] प्रश्न-कर्ता । पार्श्वशायी। पासत्थ वि [पार्श्वस्थ] निकट-स्थित । शिथिलाचारी साधु । पासी स्त्री [दे] चूड़ा, चोटी । पासत्थ वि [पाशस्थ] पाश में फंसा हुआ। पासु देखो पंसु । पासल्ल न [दे] द्वार । वि. तिर्यक् , वक्र ।। पासुत्त देखो पसुत्त। पासल्ल अक [तिर्यञ्च्, पार्थाय् ] वक्र । पार्श्व पासेइय वि [प्रस्वेदित] प्रस्वेद-युक्त । घुमाना । पासेल्लिय वि पाश्र्ववत्] पार्श्व-शायी । पासल्लइअ देखो पासल्लिअ । पासोअल्ल देखो पासल्ल - तिर्यञ्च । पासल्लि वि [पाश्विन] पार्श्व-शयित । पाह (अप) सक [प्र+अर्थय् ] प्रार्थना पासल्लिअ वि [पाश्वित, तिर्यक्त] पार्श्व में करना। किया हुआ । टेढ़ा किया हुआ। पाहंड देखो पासंड। पासवण न [प्रस्रवण] मूत्र । पाहण देखो पाहाण। पासाईय देखो पासादीय । पाहणा देखो पाणहा। पासाकुसुम न [पाशाकुसुम] पुष्प-विशेष । पाहण्ण न [प्राधान्य] प्रधानता । पासाण पुं[पाषाण] पत्थर । पाहर सक [पा + ह] प्रकर्ष से लाना । पासाणिअ वि [दे] साक्षी। पाहरिय वि [प्राहरिक] पहरेदार । पासाद देखो पासाय। पाहाउय देखो पाभाइय। पासादिय वि [प्रसादित] प्रसन्न किया हुआ। पाहाण पुं[पाषाण] पत्थर। . न. प्रसन्न करना। पाहिज देखो पाहेज। पासादीय वि [प्रासादीय] प्रसन्नता-जनक। । पाहुड न [प्राभृत] उपहार । जैन प्रन्थांश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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