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________________ ५६८ प्रकृति - सत्त्व, रज और तमोगुण की साम्यावस्था । पुं. सचिव, मन्त्री । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पहाण पुं [ पाषाण ] पत्थर । पहाण न [ प्रहाण] अपगम, विनाश । पहाम सक [ प्र + भ्रमय् ] फिराना, घुमाना । पहाय देखो पहा = प्र + हा का संकृ. । पहाय न [ प्रभात ] सबेरा । वि. प्रभायुक्त । पहाय देखो पहाव = प्रभाव | पहाया देखो वाहाया । पहार सक [ प्र + धारय् ] चिन्तन करना, विचार करना । निश्चय करना । पहार देखो पहर = प्रहार | पहाराइया स्त्री [प्रहारातिगा ] लिपि - विशेष । पहारेत्तु वि [प्रधारयितृ] चिन्तन करनेवाला | पहाव सक [प्र + भावय् ] प्रभाव-युक्त करना, गौरवित करना । प्रसिद्धि करना । पहाव (अप) अक [ प्र + भू] समर्थ होना । पहाव पुं [ प्रभाव ] शक्ति, सामर्थ्यं । कोष और दण्ड का तेज । माहात्म्य । पहाविअवि [ प्रधावित] दौड़ा हुआ । पहाविर वि [ प्रधावितृ] दौड़नेवाला । पहास सक [ प्र + भाष् ] बोलना । पहास अक [ प्र + भास् ] चमकना, प्रकाशना । पहास पुं [प्रहास] अट्टहास आदि हास्य । पहासा स्त्री [ प्रहासा] देवी- विशेष । अवि [पान्थ, पथिक ] मुसाफिर । 'साला स्त्री ['शाला ] धर्मशाला । पहिअ व [ प्रथित] विस्तृत । प्रसिद्ध | राक्षस वंश का एक लंका पति । पहिअ वि [ प्रहित] भेजा हुआ, प्रेषित । पहिअ वि [दे] मथित, विलोडित । सिवि [हिंसक ] हिंसा करनेवाला । पहिज्जमाण पहा = प्र + हा का वकृ. । पट्टि देखो पहट्ट = प्रहृष्ट । पहिर सक [परि + धा] पहनना । पहिरावण न [ परिधापन ] पहिराना । पहि Jain Education International पहाण -पहोव रावन, भेंट में - इनाम में दिया जाता वस्त्रादि । पहिल व [] प्रथम | पहिल्ल अक [दे] पहल करना, आगे करना । पहिल्लिर वि [ प्रघूर्णित] खूब हिलनेवाला । पहिवी देखो पुहबी = पृथिवी । पण वि [ प्रहीण] परिक्षीण । भ्रष्ट, स्खलित । पहु [प्रभु] परमेश्वर । जयपुर के विन्ध्यराज का एक पुत्र | स्वामी । वि. समर्थ । अधिपति, नायक । पहुइ देखो भइ । हुई देखो पहुवी । पहुंक पुं [पृथुक] खाद्य पदार्थ विशेष, चिउड़ा । पहुच क [प्र + भू] पहुँचना । पहुट्ट देखो पप्फुट्ट । देखो भइ । पण पुं [प्राण] अतिथि । पहुणाइयन [प्राघुण्य] आतिथ्य, । पहुत्त वि [ प्रभूत] पर्याप्त, काफी । समर्थ | पहुँचा हुआ । हुदि देखो भइ | पहुप्प | अक [ प्र + भू] समर्थ होना, सकना । f पहुँचना । पहुव पहुवी स्त्री [पृथिवी ] भूमि |पहु पुं [प्रभु ] | [ पति ] वही अर्थ | पहुव्वंत देखो पहुव का कवकृ. । पहूअ वि [ प्रभूत] बहुत प्रचुर । उद्गत । भूत । उन्नत । पहेज्जमाण देखो पहा = प्र + हा का वकृ. । पण न [] वधू को ले जाने पर पिता के घर दी जाती जमीन । पण न [ दे] खाद्य वस्तु को भेंट | उत्सव | पहेरक न [ हेरक ] आभरण- विशेष । पहेलिया स्त्री [ प्रहेलिका ] गूढ़ आशयवाली कविता | पोअ क [प्र + धाव् ] प्रक्षालन करना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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