SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 572
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिवट्टि-परिवीढ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ५५३ परिवट्टि देखो परिवत्ति । । कुटुम्ब करना। परिवटुल वि [परिवर्तुल] गोलाकार । परिवार पुं. घर के मनुष्य । न. म्यान । परिवड अक [परि + पत् ] पड़ना। गिरना । परिवारण न. निराकरण । आच्छादन । परिवत्त देखो परिअट्ट । परिवारिअ वि [दे] घटित, रचित । परिवत्तण देखो पडिअत्तण । परिवाल देखो परिआल । परिवत्तर (अप) वि (परिपवित्रम] पकाया परिवाल सक [परि +पालय] पालन करना । गया, गरम किया गया। परिवाल देखो परिवार = परिवार । परिवत्थिय वि [परिवस्त्रित] आच्छादित ।। परिवाविय वि [परिवापित] उखाड़ कर . परिवन्न देखो पडिवन्न । फिर से बोया हुआ। परिवय अक [परि + वत] तिर्यक् गिरना ।। । परिवाविया स्त्री [परिवापिता] दीक्षापरिवय सक [परि + वद्] निन्दा करना। विशेष । फिर से महाव्रतों का आरोपण । परिवरिअ वि [परिवृत] परिकरित, वेष्टित । परिवास पुं [दे] खेत में सोनेवाला पुरुष । परिवसण न [परिवसन] आवास । परिवास न [परिवासस्] कपड़ा। परिवसणा स्त्री [परिवसना] पर्युषण-पर्व ।। परिवासि वि [परिवासिन्] बसनेवाला । परिवह सक [परि + वह,] वहन करना, परिवाह सक [परि +वाहय्] वहन कराना । ढोना । अक. चालू रहना। __ अश्वादि खेलाना, अश्वादि-क्रीड़ा करना। परिवा अक [परि + वा] सूखना । परिवाह पुं. जल का उछाल, दहाव । परिवाइ वि [परिवादिन] निन्दा करनेवाला । | परिवाह पुं [दे] दुविनय, अविनय । परिवाइय वि [परिवाचित] पढ़ा हुआ। | परिविआल सक [परि + विश्] वेष्टन परिवाई स्त्री [परिवाद] कलंक-वार्ता ।। करना । परिविचिट्ट अक [परिवि+स्था] उत्पन्न परिवाड सक [घटय] संगत करना । रचना, होना । रहना। निर्माण करना। परिविट्ठ वि [परिविष्ट] परोसा हुआ। परिवाडल देखो परिपाडल। परिवित्तस अक परिवि + त्रस्] डरना । परिवाडि स्त्री [परिपाटि] पद्धति, रीति । परिवित्ति स्त्री [परिवृत्ति परिवर्तन । पंक्ति, श्रोणि । क्रम, परम्परा। सूत्रार्थवाचना, अध्यापन । परिविद्ध वि [परिविद्ध] जो बिंधा गया हो परिवाडी देखो परिवाडि । वह । परिवाद पुं. निन्दा, दोष-कीर्तन ।। परिविद्धंस सक [परिवि + ध्वंसय्] विनाश परिवादिणी स्त्री [परिवादिनी] वीणा- करना । परिताप उपजाना।। विशेष । | परिविद्वत्थ वि [परिविध्वस्त] विनष्ट । परिपरिवाय देखो परिवाद। तापित । परिवायग , पुं परिव्राजक] संन्यासी, | परिविप्फुरिय वि [परिविस्फुरित] स्फूर्तिपरिवायय । बाबा । परिवायणी स्त्री [परिवादनी] सात ताँतवाली | परिविस सक [परि + विश्] वेष्ठन करना । वीणा। परिविस सक [परि + विष्] परोसना । परिवार सक [परि+वारय] वेष्टन करना । । परिवीढ न [परिपीठ] आसन-विशेष । युक्त । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy