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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पभावय-पमाण शोभा की वृद्धि करनेवाला। उन्नति-कारक । . विवाह के समय किया जाता एक तरह का गौरव जनक । उबटन । पभावय वि [प्रभावक गौरव बढ़ानेवाला। | पमक्खिअ वि [प्रम्रक्षित] विलिप्त । विवाह पभावाल पुं [प्रभावाल] वृक्ष-विशेष । के समय जिसको उबटन किया गया हो वह । पभास सक [प्र+ भाष] बोलना, भाषण | पमज्ज सक [प्र+मृज्, मार्ज ] मार्जन करना। करना, साफ-सुथरा करना, झाडू आदि से पभास अक [प्र+भास] प्रकाशित होना। धूलि वगैरह को दूर करना । पभास सक [प्र + भासय] प्रकाशित करना। पमज्जणिया । स्त्री [प्रमार्जनी] झाडू । पभास पुं[ भास] भगवान् महावीर के एक | पमजणी । गणधर का नाम । एक विकटापाती पर्वत का | पमजय वि [प्रमार्जक] प्रमार्जन करनेवाला । अधिष्ठाता देव । एक जैन मुनि का नाम । एक | पमत्त वि [प्रमत्त] असावधान, प्रमादी । न. चित्रकार का नाम । न. तीर्थ-विशेष । देव- छठवाँ गुण-स्थानक । प्रमाद । जोग पुं विमान-विशेष । °तित्थ न ["तीर्थ] तीर्थ- [°योग] प्रमाद-युक्त चेष्टा । °संजय पुं विशेष, भारतवर्ष की पश्चिम दशा में स्थित | [°संयत] प्रमादी साधु । एक तीर्थ । पमद देखो पमय। पभासा स्त्री [प्रभासा] अहिंसा, दया। पमदा देखो पमया। पभिइ देखो पभिई। पमद्द सक [प्र + मृद्] मर्दन करना। विनाश पभिइ वि. ब. [प्रभृति] इत्यादि, वगैरह । करना । कम करना । चूर्ण करना । रुई की पूणी-पूनी बनाना। पभिई (अ[प्रभृति] प्रारम्भ कर, (वहाँ से)| पमद्द ५ [प्रमर्द] ज्योतिष शास्त्र में प्रसिद्ध पभीइ शुरू कर लेकर । एक योग । संघर्ष, संमर्द । वि. मदन करने वाला । विनाशक । पभीय वि [प्रभीत] अत्यन्त डरा हुआ। पमद्दय वि [प्रमर्दक] प्रमर्दन-कर्ता । पभु प्रभ] इक्ष्वाकुवंश के एक राजा का पमय पुं [प्रमद] आनन्द । न. धतूरे का नाम । स्वामी, मालिक । राजा । वि. समर्थ ।। फल । 'च्छी स्त्री [क्षी] महिला । °वण योग्य, लायक । न [°वन] राजा का अन्तःपुर-स्थित वह वन पभुंज सक [प्र + भुज्] भोग करना। जहाँ राजा रानियों के साथ क्रीड़ा करे । पभुति (पै) देखो पभिई। पमया स्त्री [प्रमदा] उत्तम स्त्री । पभुत्त वि [प्रभुक्त] जिसने खाने का प्रारम्भ पमह पुं [प्रमथ] शिव का अनुचर । °णाह पुं किया हो वह । जिसने भोजन किया हो वह । [°नाथ] महादेव । °ाहिव पुं [धिप] पभूइ , देखो पभिई। शिव । पमा सक [प्र + मा] सत्य-सत्य ज्ञान करना । पभूय वि [प्रभूत] प्रचुर, बहुत । पमा स्त्री [प्रमा] प्रमाण, परिमाण, न्याय । पभोय (अप) देखो उवभोग । पमा देखो पमाय %प्रमाद । पमइल वि [प्रमलिन] अति मलिन । पमाइ वि [प्रमादिन्] प्रमादी, बेदरकार। पमक्खण न [प्रम्रक्षण] अभ्यञ्जन, विलेपन । । पमाण सक [प्र+मानय] विशेष रीति से पभिज्ञ पभीइं। पभूई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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