SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 545
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५२६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पणच-पणि एक प्रकार का जल-मैल । सूक्ष्म पंक । देखो पणवणिय देखो पणवन्निय । पणय (दे)। °मट्टिया, °मत्तिया स्त्री | पणवण्ण देखो पणपन्न ।। [°मृत्तिका] नदी आदि के पूर के खतम होने | पणवन्निय पुं [पणपन्निक] व्यन्तर देवों की पर रह जाती कोमल चिकनी मिट्टी। | एक जाति । पणच्च अक [प्र + नृत्] नृत्य करना । पणविय देखो पणमिअ- प्रणत । पणच्चिअ वि [अनत्तित] नाचा हुआ, जिसका पणवीसी स्त्री [पञ्चविंशतिका] पचीस कासमूह। नाच हुआ हो वह । पणस पुं [पनस] वृक्ष-विशेष, कटहल या पणच्चिअ वि [प्रतित] नचाया हुआ। कटहर। पणट्ट वि [प्रनष्ट] प्रकर्ष से नाश को प्राप्त । पणसुंदरी स्त्री [पणसुन्दरी] वेश्या । पणद्ध वि [प्रणद्ध] परिगत । पणाम सक [ अर्पय् ] अर्पण करना, देने के पणपन्न स्त्रीन [दे. पञ्चपञ्चाशत्] पचपन । लिए उपस्थित करना । पणपन्नइम वि [दे. पञ्चपञ्चाश] पचपना । पणाम सक [प्र+नमय ] नमाना । पणपन्निय देखो पणवन्निय ।। पणाम सक [उप+नी] उपस्थित करना । पणपन्निय पुं [पंचप्रज्ञप्तिक] व्यन्तर देवों की | पणाम पुं [प्रणाम] नमस्कार । एक जाति । पणामणिआ स्त्री [दे] स्त्री विषयक प्रणय । पणम सक [प्र + नम्। प्रणाम करना, | पणामय वि [अर्पक] देनेवाला । नमन करना । पणामय वि [प्रणामक] नमानेवाला । शब्द पणमिअ वि [प्रणत नमा हआ। जिसने नमने | आदि विषय । का प्रारम्भ किया हो वह । जिसको नमन किया पणायक । वि [प्रणायक] ले जानेवाला । गया हो वह । [प्रणमित नमाया हुआ। पणायग , पणय सक [प्र + णी] स्नेह करना, प्रेम | | पणाल पुं [प्रणाल] मोरी । करना । प्रार्थना करना।। |पणालिआ स्त्री [प्रणालिका] परम्परा । पानी पणय - वि [प्रणत] जिसको प्रणाम किया जाने का रास्ता। गया हो वह । जिसने नमस्कार किया हो पणाली स्त्री प्रणाली]पानी जाने का रास्ता । वह । प्राप्त । निम्न, नीचा। पणाली स्त्री [प्रनाली] शरीर-प्रमाण लम्बी पणय पुं [प्रणय] स्नेह, प्रेम । प्रार्थना । °वंत लाठी। वि [°वत् स्नेहवाला, प्रेमी । पणास सक [प्र+नाशय ] विनाश करना। पणय पुं [दे] पंक। पणासण वि [प्रणाशन] विनाशकारक । पणय पुं [दे. पनक] सेवार, तृण-विशेष । पणिअ वि [दे] प्रकट, व्यक्त । काई, जल-मैल । सूक्ष्म कर्दम । पणिअ वि [प्रणीत) रचित । पणयाल वि [दे. पञ्चचत्वारिंश] पैंतालीसवाँ । पणिअ न [पणित] बेचने-योग्य वस्तु । व्यवपणयाल । स्त्रीन [दे. पञ्चचत्वारिंशत्] हार । क्रय-विक्रय । शर्त, एक तरह का पणयालीस ) पैंतालीस । जुआ। भूमि, "भूमी स्त्री. अनार्य देशपणव देखो पणम । विशेष । विक्रेय वस्तु रखने का स्थान । पणव पुं[प्रणव ओंकार । साला स्त्री [°शाला] हाट । पणव पुं. पटह, ढोल, वाद्य-विशेष । । पणिअ न [पण्य] विक्रेय वस्तु । °गिह, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy