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________________ ५१० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पज्जव । पज्जाल सक [ प्र + ज्वालय् ] जलाना । सुलगाना । पज्जिआ स्त्री [दे प्रार्थिका ] परनानी । परदादी । पज्जुच्छुअवि [पर्युत्सुक] अति उत्सुक । पज्जु वि [पर्युष्ट ] फड़फड़ाया हुआ । पज्जुणसर न [ दे] ऊख के तुल्य एक प्रकार का तृण । पज्जुण्ण पुं [ प्रद्युम्न ] श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । कामदेव । वैष्णव शास्त्र में प्रति पादित चतुर्व्यूह रूप विष्णु का एक अंश । एक जैनमुनि । वि. श्रीमंत । | पज्जुत वि [ प्रयुक्त ] जटित, खचित | देखो झुत्त 1 पज्जुदास पुं [पर्युदास] निषेध | पज्जुवट्ठा सक [पर्युप + स्था] उपस्थित होना । पज्जुवट्ठिय वि [पर्युपस्थित ] मौजूद, हाजिर, तत्पर । पज्जुवास सक [पर्युप + आस् ] सेवा करना । उपासना करना, भक्ति करना । पज्जुवास व [ पर्युपासक ] सेवा करनेवाला । पज्जुसण पज्जुसवण पज्जु सवण ) पज्जूसण पज्जुसणा स्त्री [पर्युषणा ] देखो पज्जोसवणा । पज्जुस्सुअ वि [पर्युत्सुक] अति उत्सुक । पज्जूसुअ पज्जअ पुं [ प्रद्योत ] प्रकाश, उद्योत । उज्जयिनी नगरी का एक राजा । 'गर वि [कर ] प्रकाश - कर्त्ता | न. देखो पज्जुसणा । पज्जोय सक [प्र + द्योतय् ] प्रकाशित करना । पज्जोयण पुं [ प्रद्योतन ] एक जैन आचार्य | पज्जोसव अक [ परि + वस्] वास करना, रहना । जैनागम प्रोक्त पर्युषणा - पर्व मनाना | Jain Education International पज्जाल-पट्ट पज्जोसवण न. देखो पज्जोसवणा । पज्जोसवणा स्त्री [पर्युषणा ] एक ही स्थान करना । वर्षा काल । आठ दिनों का एक पुं ['कल्प ] पर्युषणा में करने योग्य शास्त्र - विहित आचार, वर्षा - में वर्षा - काल व्यतीत पर्व - विशेष, भाद्रपद के प्रसिद्ध जैन पर्व | कप्प कल्प । पज्जोसवणा स्त्री [पर्योसवना, पर्युपशमना ] ऊपर देखो । पज्जोसविय वि [ पर्युषित] स्थित, रहा हुआ । पज्झंझ अक [ प्र + झञ्झ् ] आवाज करना । पज्झट्टिआ स्त्री [पज्झट्टिका ] छन्द- विशेष । पज्झर अक [ क्षर्, प्र+क्षर् ] झरना, टपकना । पज्झर पुं [ प्रक्षर ] प्रवाह विशेष | पज्झल देखो पज्झर = पज्झलिआ देखो पज्झट्टिआ । क्षर् । पज्झाय न [ प्रध्यात] अतिशय चिन्तन | वि. चिन्तित, सोचा हुआ । पज्झत्त वि[दे] खचित, जड़ित । देखोपज्जुत । पझुंझ देखो पज्झुंझ । पटउडी स्त्री [पटकुटी] तम्बू, वस्त्र-गृह | पटल देखो पडल = पटल । पटह देखो पडह । पटिमा (पै. चूप) देखो पडिमा । पटोला स्त्री. कोशतकी, क्षारवल्ली । पट्ट सक [पा] पीना, पान करना । पट्ट पुं. पहनने का कपड़ा । रथ्या, मुहल्ला | पाषाण आदि का तख्ता, फलक । ललाट पर से बाँधी जाती एक प्रकार की पगड़ी | पट्टा, किसी प्रकार का अधिकार पत्र । रेशम । पाट, सन । रेशमी कपड़ा । सन का कपड़ा । सिंहासन, गद्दी, पाट | कलाबत्तू पट्टी, फोड़ा आदि पर बाँधा जाता लम्बा वस्त्रांश, शाक- विशेष । 'इल्ल पुं[ वत् ] पटेल, गाँव का मुखिया । 'उडी स्त्री [ 'कुटी] तम्बू, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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