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________________ ५०८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पच्छा-पज्जण्ण पिछला संस्कार । मरण के उपलक्ष्य में | का। अन्तिम । °द्ध न [T] उत्तरार्ध । ज्ञाति-कुटुम्बी वगैरह प्रभूत मनुष्यों के लिए सेल पुं [°शैल] अस्ताचल पर्वत । पकायी जाती रसोई । °संथव पुं [ संस्तव] पच्छिमा स्त्री [पश्चिमा पश्चिम दिशा। पिछला सम्बन्ध, स्त्री, पुत्री वगैरह का पच्छियापिडय देखो पच्छि-पिडय । सम्बन्ध । जैन मुनियों के लिए भिक्षा का एक पच्छिल (अप) देखो पच्छिम । दोष, श्वशुर आदि पक्ष में अच्छी भिक्षा पच्छुत्ताव पुं [पश्चादुत्ताप] पछतावा । मिलने की लालच से पहले भिक्षार्थ जाना। पच्छुत्ताविअ (अप)वि [पश्चात्तापित] जिसको संथुय वि [°संस्तुत] पिछले सम्बन्ध से पश्चात्ताप हुआ हो वह । परिचित । हुत्त वि [°दे] पीछे की तरफ | पच्छेकम्म देखो पच्छ-कम्म। का । | पच्छेणय न [दे] पाथेय, रास्ते में निर्वाह पच्छा स्त्री [पथ्या] हरीतकी । करने की भोजन-सामग्री, कलेवा । पच्छाअ' सक [ प्र+छदय ] ढकना । पच्छोववण्णग । वि [पश्चादुपपन्न] पीछे से छिपाना। पच्छोववन्नक ) उत्पन्न । पच्छाअ वि [प्रच्छाय] प्रचुर छायावाला। पजप सक [प्र+जल्प्] बोलना । पच्छाग पुं [प्रच्छादक] पात्र बाँधने का पजंपावण न [प्रजल्पन] बोलाना, कथन कपड़ा। कराना। पच्छाडिद (शौ) वि [प्रक्षालित] धोया हुआ। पजणण वि [प्रजनन] उत्पादक । न. लिंग, पच्छाणिअ [दे] देखो पच्चोवणिअ। पुरुष-चिह्न । पच्छाणुताविअ वि [पश्चादनुतापिक] पश्चा पजल अक [प्र+ज्वल ] अतिशय दग्ध त्ताप-युक्त, पछतावा करनेवाला । होना । चमकना । पच्छायण न [पथ्यदन] पाथेय, रास्ते में खाने | पजह सक [प्र+हा] त्याग करना । का भोजन । पजाला स्त्री [प्रज्वाला] अग्नि-शिखा । पच्छायण न [प्रच्छादन] आच्छादन, ढकना । पजीवण न [प्रजीवन] आजीविका । वि. आच्छादन करनेवाला । या स्त्री [°ता] | पजुत्त देखो पउत्त = प्रयुक्त । आच्छादन । पजूहिअ वि [प्रयूथिक] यूथ या समूह को पच्छाल देखो पक्खाल । दिया हुआ, याचक-गण को अर्पित । पच्छि स्त्री [दे] पिटिका, पिटारी, वेत्रादि- पजेमण न [प्रजेमन] भोजन लेना। रचित भाजन-विशेष । °पिडय न [°पिटक] पज्ज सक [पायय] पिलाना, पान कराना । 'पच्छो' रूप पिटारी । पज्ज न [पद्य] छन्दोबद्ध वाक्य । पच्छि (अप) देखो पच्छइ । पज्ज न [पाद्य] पाद-प्रक्षालन जल । पच्छित्त न [प्रायश्चित] पाप की शुद्धि करने पज्ज देखो पज्जत्त। वाला कर्म । मन को शुद्ध करनेवाला कर्म । पज्जंत पुं [पर्यन्त] सीमा, प्रान्त भाग। पच्छित्ति वि [प्रायश्चित्तिन्] प्रायश्चित्त का | पज्जण न दे] पान, पीना । भागी, दोषी। पज्जणुओग । पुं [पर्यनुयोग] प्रश्न । पच्छिम न [पश्चिम] पश्चिम दिशा । वि. पज्जणुजोग , पश्चिम दिशा का, पाश्चात्य । पिछला, बाद | पज्जण्ण देखो पजणण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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