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________________ ३२ अणरामय पुं [दे] अरति, बेचैनो । अणराय वि [अराजक ] राज-शून्य, जिसमें संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष राजा न हो वह । अणराह पुं बिरंगी पट्टी | अणरिक्क वि [दे] अवकाश-रहित, फुरसतरहित । दधि, क्षीर आदि गोरस भोज्य । वि [ अनर्ह ] अयोग्य, नालायक । [दे] सिर में पहनी जाती रंग अणरिह} अणरुह अणलं अ [अनलम् ] असमर्थ | अणल पुं [ अनल] अग्नि । वि. असमर्थ । अयोग्य | अणव वि [ऋणवत् ] करजदार । पुं. दिवस काछब्बीसवाँ मुहूर्त | अणवकय वि [ अनपकृत | जिसका अपकार अणरामय - अणहुल्लिय अणवयमाण a [ अनपवदत् ] अपवाद नहीं करता हुआ । सत्यवादी | अणवरय वि[अनवरत ] निरन्तर, अविच्छिन्न । न. हमेशा । अणवराइस (अप) वि [ अनन्यादृश ] असा धारण । अणवसर वि [ अनवसर] आकस्मिक | Start a [ अबाध ] बाधा-रहित । वि अणवेक्य वि [अनपेक्षित ] उपेक्षित, जिसकी परवाह न हो । Jain Education International अणवेक्य वि [ अनवेक्षित ] नहीं देखा हुआ । नहीं सोचा हुआ । कारि वि [कारिन्] साहसिक | कारिया स्त्री [कारिता ] साहस कर्म । अणसण न [ अनशन] आहार का त्याग, न किया गया हो वह । उपवास । अणवगल्ल वि [अनवग्लान] ग्लानि-रहित, अणसिय वि [ अनशित] उपोषित, उपवासी । निरांग | अणहवि [ अनघ] निर्दोष, पवित्र । अह वि [] अक्षत, व्रणशून्य । अहण न [ अनभस् ] पृथिवी । trafa [] विद्यमान । अवयव [] तिरस्कृत । स्त्री [अधुना ] इस समय । अहारय ' [ दे] खल्ल, जिसका मध्यनीचा हो वह जमीन । खला, अणवच्च वि [ अनपत्य ] सन्तान - रहित | अणवज्जन [ अनवद्य ] पाप का अभाव, कर्म का अभाव | वि. निर्दोष निष्पाप | अणवज्ज वि [ अणवर्ज्यं ] ऊपर देखो । अणवट्ठप्प वि [अनवस्थाप्य] जिसको फिरसे दीक्षा न दी जा सके ऐसा गुरु अपराध करने वाला | न. गुरुप्रायश्चित्त का एक भेद । अणवट्ठिय [अनवस्थित] अव्यवस्थित्, अनियमित । अस्थिर । पल्य-विशेष | अणवण्णय [ अणपत्रिक, अणपणिक ] वानव्यंतर देवों की एक जाति । aratra [ अनवस्थ ] अव्यवस्थित, अनिय- अणहिष्ण देखो अअणभिण्ण । मित, असमंजस । अणवत्था स्त्री [अनवस्था] अवस्था का अहिल अभाव | एक तर्क- दोष । अव्यवस्था | अणवदग्गवि [दे] अनन्त । अविनाशी | tat a [ अनवद्य] निर्दोष | अणवयग्ग देखो अणवदग्ग । अअवि [अहृदय ] निष्ठुर । अहिfa [ अनधिगत ] नहीं जाना हुआ । पु. वह साधु, जिसको शास्त्रों का ज्ञान हो । } अणहियास वि [ अनध्यास ] असहिष्णु । न [ अणहिल्ल] गुजरात देश की अणहिल्ल प्राचीन राजधानी । 'वाडय न [पाटक] देखो अणहिल । अहणवि [अधीन ] स्वतन्त्र, अनायत्त । अहुलिय वि [] जिसका फल प्राप्त न हुआ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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