SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष भत्त-धम्म जाता हो वह । पुं. आशीर्वाद । करना। धत्त वि [दे] निहित, स्थापित । पुं. वनस्पति धमास पुं. वृक्ष-विशेष । विशेष । धत्त वि [धात्त] निहित, स्थापित । धमिअ वि [ध्मात] जिसमें वायु भर दिया धत्तरट्ठग पुं [धार्तराष्ट्रक] हंस की एक जाति गया हो वह । आग में तपाया हुआ। जिसके मुंह और पाँव काले होते हैं। धम्म पुं [धर्म] एक देव-विमान । एक दिन का धत्ती स्त्री [धात्री] उपमाता, दाई । पृथिवी, उपवास । पुन. शुभ कर्म, कुशल जनक-अनुष्ठान, भूमि । आमलकी-वृक्ष, आँवले का पेड़ । देखो सदाचार । पुण्य । स्वभाव । गुण, पर्याय । धाई। एक अरूपी पदार्थ जो जोव को गति-क्रिया में धत्तूर पुं [धत्तूर धतूरा का वृक्ष । न. धतूरा सहायता पहुंचाता है। वर्तमान अवसर्पिणी काल में उत्पन्न पनरहवें जिन-देव । एक का पुष्प । धत्तरिअ वि [धात्तूरिक] जिसने धतूरा का वणिक् । स्थिति, मर्यादा । धनुष । एक जैन मुनि । 'सूत्रकृताङ्ग' सूत्र का एक अध्ययन । नशा किया हो वह। आचार, रीति, व्यवहार । उत्त पुं[ पुत्र ] धत्थ वि [ध्वस्त ध्वंस-प्राप्त, नष्ट । शिष्य । उर न[°पुर]नगर-विशेष । कंखिअ धन्न न [धान्य] अनाज । धान्य-विशेष । वि[काक्षित] धर्म को चाहवाला । कहा धनिया । कीड पुं[°कीट] अनाज में होने स्त्री [कथा] धर्म-सम्बन्धी बात । कहि वि वाला कोट । णिहि पुंस्त्री [निधि] [कथिन्] धर्म का उपदेशक । कामय वि कोष्ठागार । °पत्थय पुं [प्रस्थक] धान का [कामक] धर्म की चाहवाला । "काय पुं. एक नाप । °पिडग न [पिटक] अनाज का धर्म का साधन-भूत शरीर । °क्खाइ वि एक नाप । °पुंजिय न [पुञ्जितधान्य] इकट्ठा [°ाख्यायिन्] धर्म-प्रतिपादक । °क्खाइ वि किया हुआ अनाज । विक्खित्त न [ख्याति] धर्म से ख्यातिवाला, धर्मात्मा । [विक्षिप्तधान्य] विकीर्ण अनाज । °विरल्लिय - गुरु पुं. धर्माचार्य । °गुव वि [°गुप्] धर्मन [विरल्लितधान्य] वायु से इकट्ठा किया रक्षक । °घोस पुं [°घोष] कई एक जैन मुनि अनाज । °संकड्ढिय न [°संकर्षितधान्य] और आचार्य का नाम । °चक्क न [चक्र] खेत से काटकर खले-खलिहान में लाया गया जिनदेव का धर्म-प्रकाशक चक्र । °चक्कवट्टि धान्य । °गार न. धान रखने का गृह । पुं [चक्रवत्तिन्] जिन-देव । °चक्कि पुं धन्ना स्त्री [धान्य] अन्न । [°चक्रिन्] जिन भगवान् । °जणणी स्त्री धन्ना स्त्री [धन्या] एक स्त्री का नाम । [°जननी] धर्म की प्राप्ति करानेवाली स्त्री, धम सक [ध्मा] आग में तपाना । शन्द धर्म-देशिका । °जस पुं [°यशस्] जैन मुनिकरना । वायु पूरना। विशेष का नाम । जागरिया स्त्री धमग वि [ध्मायक] घमनेवाला। [जागर्या] धर्म-चिन्तन के लिए किया जाता धमण न [धमन] आग में तपाना । वायु- जागरण । जन्म से छठवें दिन में किया जाता पूरण । वि. भस्त्रा, धमनी, भाथी। एक उत्सव । °ज्झय पुं [ध्वज] धर्म-द्योतक धमणि । स्त्री [धमनि, नी] धौंकनी। ध्वज, इन्द्र-ध्वज । ऐरवत क्षेत्र के पांचवें भावी धमणी , नाड़ी। जिन-देव । ज्झाण न [°ध्यान] धर्म-चिन्तन, धमधम अक [धमधमाय] 'धम्-धम्' आवाज । शुभ ध्यान-विशेष । ज्झाणि वि [ ध्यानिन्] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy