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________________ ४८० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दोहा [द्विधा ] दो प्रकार । दोसील व [दुश्शील ] दुष्ट स्वभाववाला । दोसोलह त्रि. ब. [ द्विषोडशन् ] बत्तीस । दोह सक [ह] द्रोह करन । दोह पुं [दोह] दोहन | दोहा अवि [ द्विधाकृत] जिसका दो खण्ड किया गया हो वह । दोहासन [ ] कटी-तट, कमर । दोह व [ दो ] दोहने योग्य | दोह पुं [द्रोह ] ईर्ष्या, द्वेष । दोहि वि [दोहित्] झरनेवाला, टपकनेवाला । दोहि [द्रोहिन्] द्रोह करनेवाला । दोहग्गन [ दौर्भाग्य ] दुष्ट भाग्य, दुरदृष्ट, दोहिण्ण वि [ द्विभिन्न] द्विखण्ड, जिसका टुकड़ा किया गया हो वह । कमनसीबी । दोहण न [दोहन] दोहना, दूध निकालना । दोहित्त पुं [दौहित्र ] लड़की का लड़का, 'वाडण न [ 'पाटन ] दोहन-स्थान । नाती । दोहणहारी स्त्री [दे] दोहनेवाली स्त्री । दोहूअ पुं [ दे] मुरदा । पनिहारी । 'द्दोस देखो दोस = (दे) । द्रवक्क (अप) न [ दे. भय ] डर, भीति । पुं [द] बड़ा जलाशय, झील । दोहणी स्त्री [] कर्दम । दो वि [दोहr] दोहनेवाला । दोह व [द्रोह ] द्रोह करनेवाला, ईर्ष्यालु । दोहल पुं [दोहद] गर्भिणी स्त्री का मनोरथ । ध पुं. दन्त - स्थानीय व्यञ्जन वर्ण- विशेष | धअ देखो धव । धं पुं [ध्वाङ्क्ष ] कौआ । धंग पुं [दे] भ्रमर | धंत न [ ध्वान्त ] अँधेरा । अज्ञान । नगर । धंधोलिय (अप) वि [भ्रमित ] घुमाया हुआ । धंस अक [ध्वंस्] नष्ट होना । Jain Education International द्रेहि (अप) स्त्री [दृष्टि ] नजर । द्रोह देखो दोह = द्रोह | ध धंस सक [ध्वंसय् ] नाश करना | दूर करना | धंसाड सक [मुच्] त्याग करना, छोड़ना । साडि वि [] व्यपगत, नष्ट । धगधग अक [धगधगाय् ] 'धग्-धग्' आवाज धंत न [ दे] अतिशय । धंत वि [ ध्मात] अग्नि में तपाया हुआ । शब्दयुक्त, शब्दित । धंधा स्त्री [दे] लज्जा । धुक्क न [ धधुक्य ] गुजरात का एक धडहडिय न [ दे] गर्जना | करना । जलना, अतिशय जलना । धगधग्ग देखो धगधग | धग्गीकय वि [ दे] जलाया हुआ, अत्यन्त प्रदीपित । धज देखो धय = ध्वज | देखो | दोसील-वण धट्ठज्जुण [ धृष्टद्युम्न] राजा द्रुपद का धट्टज्जुण्ण एक पुत्र । धण न [ दे] गले से नीचे का शरीर । } धण न [धन] विभव, स्थावर-जंगम सम्पत्ति । गणिम, घरिम, मेय या परिच्छेद्य द्रव्य - गिनती से और नाप आदि से क्रय-विक्रययोग्य पदार्थ । पुं. कुबेर | एक श्रेष्ठी । धन्य सार्थवाह का एक पुत्र । इत्त, इल्ल वि [वत् ] धनी । गिरि पुं. एक जैन महर्षि जो वज्रस्वामी के पिता थे । 'गुत्त पुं [गुप्त ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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