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________________ ४७८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष देसराग-दोण दिखलानेवाला। 1 दोइ देखो दो = विधा। देसराग वि [देशराग] 'देशराग' देश में बना दोबुर [दे] देखो दोबुर । हुआ। __दोकिरिय वि [द्विक्रिय] एक ही समय में दो देसि , वि [देशिन] अंशी, आंशिक, भाग- क्रियाओं के अनुभव को माननेवाला। देसिअ वाला । दिखलानेवाला । उपदेशक। दोक्कर देखो दुक्कर। देसिअ वि [देश्य, दैशिक] देश में उत्पन्न, दोक्खर पुं [द्वि-अक्षर] नपुंसक । देश-सम्बन्धी । सद्द पुं [°शब्द] देशीभाषा दोखंड देखो दुखंड ।। का शब्द। दोखंडिअ वि [द्विखण्डित] जिसके दो टुकड़े देसिअ वि [देशिक] बृहत्क्षेत्र-व्यापी, विस्तीर्ण। किए गए हों वह । मुसाफिर। उपदेष्टा, गुरु । प्रवास | दोगंछि वि [जुगुप्सिन्] घृणा करनेवाला । मैं गया हुआ। सहा स्त्री [°सभा] धर्म- दोगच्च न [दौर्गत्य] दुर्दशा । दारिद्रय । शाला। दोगुंछि देखो दोगंछि। देसिअ देखो देवसि। दोगुंदय पुंन [दोगुन्दक] एक देव विमान । देसिअव वि [देशितवत] जिसने उपदेश दिया दागुदुय पुं [दौगुन्दक] उत्तम-जातीय देव विशेष । हो वह। देसिल्लग देखो देसिअ = देश्य । दोग्ग न [दे] युग्म, युगल । देसी स्त्री [देशी] भाषाविशेष, अत्यन्त प्राचीन । दाग दखा दुग्गइ । दोग्गइ देखो दुग्गइ । कर वि. दुर्गति-जनक । प्राकृत भाषा का एक भेद । °भासा स्त्री दोग्गच्च देखो दोगच्च । [°भाषा] वही अर्थ । देसूण वि [देशोन] कुछ कम । दोग्घोट्ट पुं दे] हाथी । दस्स वि [दश्य] देखने-योग्य । देखने को ! पट शक्य । दोचूड पुं [द्विचूड]विद्याधर वंश के एक राजा देह देखो देख। का नाम । देह पुन. शरीर। पुं. पिशाच-विशेष । 'रय न दोच्च वि [द्वितीय] दूसरा। [°रत] मैथुन । दोच्च न दौत्य दूत-कर्म । देहंबलिया स्त्री [देहबलिका] भिक्षा-वृत्ति । दोच्च अ [द्विस्] दो बार । देहणी स्त्री [दे] कर्दम । दोच्चंग न [द्वितीयाङ्ग] दूसरा अंग । पकाया देहरय (अप) न [देवगृहक] देव-मन्दिर । । हुआ शाक । कढ़ी। देहली स्त्री. चौखट । । दोजीह पुं [द्विजिह्व] दुर्जन । साँप । देहि पुं [देहिन्] आत्मा, जीव । दोज्झ वि [दोह्य] दोहने योग्य । देहुर (अप) न [देवकुल] मन्दिर । दोण पुं [द्रोण] धनुर्वेद के एक सुप्रसिद्ध दो अ (द्विधा] दो प्रकार से। आचार्य । एक प्रकार का परिमाण । "मुह न दो [द्वि] दो, उभय । [°मुख] नगर, जल और स्थल के मार्गवाला दो दोस्] हाथ, बाहु । शहर । 'मेह [ मेघ मेघ-विशेष, जिसकी दोअई स्त्री [द्विपदी] छन्द-विशेष । धारा से बड़ी कलशी भर जाय वह वर्षा । दोआल पुं [दे] वृषभ । °मुया स्त्री [ मुता] लक्ष्मण की स्त्री का दोग्घट्ट । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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