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________________ ४६६ मिश्रित दूध 1 दुद्धरवि [दुर्धर] जिसका निर्वाह मुश्किल से हो सके वह । गहन, विषम । दुर्जय । पुं. रावण का एक सुभट । दुद्धरिस वि[दुर्धर्ष ] जिसका सामना कठिनता से हो सके, जीतने को अशक्य । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पकाया जाता दूध | दुद्धसाडी स्त्री [दे] द्राक्षा मिलाकर पकाया जाता दूध । दुद्धिअ न [] कद्दू । दुद्धवलेही स्त्री [दे] चावल का आटा डालकर दुपक्ख पुं [दुष्पक्ष ] दुष्ट पक्ष । दुद्धिणि } दुद्धिणी भाजन | तुम्बी । दुद्धोअहि } ं [दुग्धोदधि] क्षीरसमुद्र । दुद्ध दुद्धोणी स्त्री [] कामधेनु । दुधा देखो दुहा । दुन्नय पुं [दुर्नय] कुनीति । अनेक धर्मवाली वस्तु में किसी एक ही धर्म को मानकर अन्य धर्म का प्रतिवाद करनेवाला पक्ष | वि. दुष्टनीति, अन्यायकारी । कारि वि [कारिन्] अन्याय करनेवाला | दुन्निकम देखो दोनिक्कम । दुन्निग्गह वि [दुर्निग्रह] अनिवार्य | दुन्निबोह वि[दुर्निबोध ] दुःख से जाननेयोग्य । दुर्लभ । दुन्निय न [ दुर्नीत ] दुष्ट कर्म । दुन्नियत्थ वि [] विटका भेषवाला, निन्दनीय वेष को धारण करनेवाला, केवल जघन पर ही वस्त्र पहिना हुआ । दुद्धर - दुप्पजीवि दुन्निसा वि [ दुर्निषण्ण] खराब रीति से बैठा हुआ 1 दुप देखो दिअ = द्विप | दुपएस वि [ द्विप्रदेश ] दो अवयववाला, पुं. क सूत्र । स्त्री [दे] तेल आदि रखने का दुपडोआर वि [ द्विपदावतार ] दो स्थानों में जिसका समावेश हो सके वह । दुपsोआर वि [द्वित्यवतार ] ऊपर देखो दुपमज्जिय देखो दुप्पमज्जिय । दुपय वि [द्विपद ] दो पैरवाला । पुं. मनुष्य । न. गाड़ी | Jain Education International दुपसिय वि[ द्विदेशिक] दो प्रदेशवाला । दुन्निवार वि[दुर्निवार] रोकने के लिए अशक्य, जिसका निवारण मुश्किल से हो सके वह । दुन्निवारणी वि [दुर्निवारणीय, दुर्निवार] ऊपर देखो । दुपक्खन [द्विपक्ष] दो पक्ष । वि. दो पक्ष - वाला । दुपsिह न [ द्विप्रतिग्रह ] दृष्टिवाद का एक दुपय पुं [ द्रुपद ] कांपिल्यपुर का एक राजा । दुपरिच्चय वि [ दुष्परित्यज ] दुस्त्यज । दुपरिचयणीय वि [ दुष्परित्यजनीय, दुष्परित्यज ] ऊपर देखो । दुपस्स देखो दुप्पस्स | दुपुत्त पुं [दुष्पुत्र] कुपुत्र । दुपेच्छवि [दुष्प्रेक्ष] दुर्दर्श, अदर्शनीय । दुप्पइ पुं [ दुष्पति] दुष्ट स्वामी । दुन्निरिक्ख वि [दुर्निरीक्ष्य ] जो कठिनाई से दुप्पक्क वि [दुष्पक्व ] देखो दुप्पउल्ल । देखा जा सके वह । दुपत्त व [दुष्प्रयुक्त] दुरुपयोग करनेवाला | जिसका दुरुपयोग किया गया हो वह । दुप्पउलिय दुप्पउल्ल वि [दुष्प्रज्वलित ] अधपका । दुप्पओग पुं [दुष्प्रयोग] दुरुपयोग । दुप्पखाल वि [दुष्प्रक्षाल ] जिसका प्रक्षालन कष्टसाध्य हो वह । दुपचुप्पे क्aिra [दुष्प्रत्युत्प्रेक्षित] ठीकठीक नहीं देखा हुआ 1 दुप्पजीवि वि [दुष्प्रजीविन् ] दुःख से जीने For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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