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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दुअणुअ-दुक्ख दुअणुअ पुं [व्यणुक] दो परमाणुओं का। दुकाल पुं [दुष्काल] दुर्भिक्ष । स्कन्ध । दुकिय देखो दुक्कय । दुअर वि [दुष्कर] मुश्किल । दुकूल पुं. वृक्ष-विशेष । वि. दुकूल वृक्ष की छाल दुअल्ल न [दुकूल ] वस्त्र । सूक्ष्मवस्त्र । देखो । से बना हुआ वस्त्र आदि । दुकूल। दुक्कंदिर वि [दुष्कन्दिन] अत्यन्त आक्रन्द दुआइ पुं [द्विजाति] ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य करनेवाला । -ये तीन वर्ण । दुक्कड न [दुष्कृत] पाप कर्म, निन्द्य आचरण । दुआइक्ख वि [दुराख्येय] दुःख से कहने | दुक्कप्प पुं [दुष्कल्प] शिथिल साधु का योग्य । आचरण, पतित साधु का आचार । दुआर न [द्वार] दरवाजा, प्रवेश-मार्ग । दुक्कम्म न [दुष्कर्मन्] दुष्ट कर्म, असदाचरण । दुआराह वि [दुराराध] जिसका आराधन | दुक्कय न [दष्कृत] पाप-कर्म । कठिनाई से हो सके वह । दुक्कर वि [दुष्कर] कष्ट-साध्य । "आरअ दुआरिआ स्त्री [द्वारिका] छोटा द्वारा । गुप्त वि [°कारक] मुश्किल कार्य को करनेवाला। द्वार, अपद्वार। °करण न. कठिन कार्य को करना । °कारि दुआवत्त न [व्यावर्त] दृष्टिवाद का एक सूत्र ।। वि [°कारिन्] देखो °आरअ । दुइअ दुक्कर न [दे] माघ मास में रात्रि के चारों दुइज वि [द्वितीय] दूसरा । प्रहर में किया जाता स्नान । दुक्करकरण न [दुष्करकरण] पाँच दिन का दुइल्ल (अप) वि [द्विचतुर] दो चार, दो या लगातार उपवास । चार दुक्कह वि [दे] अरुचिवाला । दुउंछ । सक [जुगुप्स्] निन्दा करना, घृणा | दुक्काल पुं [दुष्काल] अकाल । दुउच्छ । करना। दुक्किय देखो दुक्कय। दुउण वि [द्विगुण] दुगुना । °अर वि [°तर] | दुक्कुक्कणिआ स्त्री [दे] पीकदानी । दूने से भी विशेष, अत्यन्त । दुक्कुल न [दुष्कुल] निन्दित कुल । दुऊल देखो दुअल्ल। दुक्कुह वि [दे] असहिष्णु, चिड़चिड़ा । रुचिदुडुह , पुं [दुन्दुभ] सर्प की एक जाति । रहित । दुंदुभ । ज्योतिष्क-विशेष, एक महाग्रह । दुक्ख पुंन [दुःख] असुख, कष्ट, पीड़ा, क्लेश, दुंदुभि देखो दुंदुहि । मन का क्षोभ । वि. दुःखयुक्त। कर' वि. दुंदुमिअ न [दे] गले की आवाज । दुःख -जनक । त्त वि [°ार्त]दुःख से पीड़ित । दुंदुमिणी स्त्री [दे] रूपवालो स्त्री। "त्तगवेसण न [°ार्तगवेषण] आर्त्त शुश्रूषा । दुंदुहि पुंस्त्री [दुन्दुभि] वाद्य-विशेष । °मज्जिय वि [अजितदुःख] जिसने दुःख दुंबवती स्त्री [दे] नदी। उपार्जन किया हो वह । राह वि [°ाराध्य] दुकड देखो दुक्कड। दुःख से आराधन-योग्य । वह वि.दुःख-प्रद । दुकप्प देखो दुक्कप्प। °ासिया स्त्री ["सिका]वेदना, पीड़ा । देखो दुकम्म न [दुष्कर्मन्] पाप, निन्दित काज या दुह = दुःख । काम । दुक्ख न [दे] जघन, स्त्री के कमर के पीछे का दुई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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