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________________ दिअ-दिटुंति संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ४५७ हस्ती । ग्गइंद पुं [गजेन्द्र] दिग्-हस्ती । | दिइ स्त्री [दृति] मशक, चमड़े का जल-पात्र । ग्गय पुं [°गज] दिग्-हस्ती। °चक्कसार | दिउण वि [द्विगुण] दूना, दुगुना । न [°चक्रसार] विद्याधरों का एक नगर । | दिक्काण पुं [द्रेष्काण] मेष आदि लग्नों का °म्मोह पुं [°मोह] दिशा-भ्रम । देखो | दसवां हिस्सा । दिसा। दिक्ख सक [दीक्ष्] दीक्षा देना, प्रव्रज्या देना, दिअ पुंन [दे] दिवस, दिन । संन्यास देना, शिष्य करना । दिअ पुं द्विज] ब्राह्मण । दाँत । ब्राह्मण आदि | दिक्ख देखो देक्ख । तीन वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य । | दिक्खा स्त्री [दीक्षा] प्रवज्या देना, दीक्षण । अण्डज । पक्षी। टिंबरू का पेड़ । प्राय पुं | प्रव्रज्या, संन्यास । [राज] उत्तम द्विज । चन्द्रमा। दिक्खिअ वि [दीक्षित] जिसको प्रव्रज्या दी दिअ पुं[द्विक कौआ । गई हो वह, जो साधु बनाया गया हो वह । दिअ पुं[द्विप] हाथी । दिगंछा देखो दिगिंछा। दिअ न [दिव] स्वर्ग । °लोअ, लोग पुं | दिगंबर देखो दिअंबर।। [°लोक देवलोक । दिगिछा स्त्री [जिघत्सा] भूख । दिअ वि [दित] छिन्न, काटा हुआ । दिगिच्छ सक [जिघत्स्] खाने को चाहना । दिअ वि [दृत] हत, मार डाला हुआ। | दिगु पुं [द्विगु] व्याकरण-प्रसिद्ध एक समास । दिअंत पुं [दिगन्त] दिशा का प्रान्त भाग ।। दिग्गु देखो दिगु। दिअंबर वि [दिगम्बर] वस्त्र-रहित । पुं. एक दिग्ध देखो दीह । °णंगूल, लंगूल वि जैन सम्प्रदाय । [°लागूल] लम्बी पूंछवाला । पुं. वानर । दिअज्झ पुं [दे] सुवर्णकार । दिग्घिआ स्त्री [दीर्घिका] वापी, सीढ़ीवाला दिअधुत्त पुंदे] काक। कूप-विशेष । दिअर पुं [देवर] पति का छोटा भाई । दिच्छा स्त्री [दित्सा] देने इच्छा । दिअलिअ वि [दे] मूर्ख, अज्ञानी । दिज देखो दिअ = द्विज । दिअली स्त्री [दे] स्थूणा, खम्भा, खूटी। | दिज वि [देय] देने योग्य । जो दिया जा सके । पुन. कर-विशेष । दिअस पुंन [दिवस] दिन । °कर पुं. सूर्य ।। नाह पुं [नाथ] सरज। °यर देखो दिट्ठ वि [दिष्ट] कथित, प्रतिपादित । कर । देखो दिवस । दिटु वि [दृष्ट] विलोकित । अभिमत । ज्ञात, दिअसिअ न [दे] सदा-भोजन । प्रतिदिन । प्रमाण से जाना हुआ। न. दर्शन, विलोदिअह देखो दिअस। कन । पाढि वि [°पाठिन्] चरक-सुश्रुतादि दिअहुत्त न [दे] पूर्वाह्न का भोजन, दुपहर का ___ का जानकार । °लाभिय पुं [°लाभिक] दृष्ट भोजन । वस्तु को ही ग्रहण करनेवाला जैन साधु । दिआ अ [दिवा] दिवस । °णिस न [°निश] | दिट्ट न [दृष्ट] प्रत्यक्ष या अनुमान प्रमाण से दिन-रात । 'राअ न [रात्र] सर्वदा।। __ जानने-योग्य वस्तु । साहम्मव न[°साधर्म्यदेखो दिवा। वत्] अनुमान का एक भेद । दिआइ देखो दुआइ। दिटुंत पुं [दृष्टान्त] उदाहरण । दिआहम पुं [दे] भास पक्षी। | दिलृतिअ वि [द्रान्तिक] जिस पर उदा ५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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