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________________ दाणी दाण-दारु संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दाण पुंन [दान] दान, उत्सर्ग, त्याग । हाथी में निबद्ध एक मन्त्र-विद्या । का मद । जो दिया जाय वह । °विरय पुं ! दामी स्त्री. लिपि-विशेष । [विरत]एक राजा । साला स्त्री [°शाला] | दामोअर पुं [दामोदर] श्रीकृष्ण वासुदेव । सत्रागार। अतीत उत्सर्पिणी काल में भरत-क्षेत्र में उत्पन्न दाणंतराय न [दानान्तराय ] कर्म-विशेष नववाँ जिनदेव । जिसके उदय से दान देने की इच्छा नहीं दायग वि [दायक] दाता । होती है। दायण न [दान] देना। दाणपारमिया स्त्री [ दानपारमिता ] दान, | दायणा स्त्री [दापना] पृष्ट अर्थ की व्याख्या । उत्सर्ग समर्पण । दायय देखो दायग। दाणव पुं [दानव] असुर । दायाद पुं [दायाद] पैतृक सम्पत्ति का भागीदाणविंद पुं [दानवेन्द्र] असुरों का स्वामी । दार, पुत्र, सपिंड कुटुम्बी। दाणि स्त्री [दे] चुंगी। दायार वि [दायार] याचक, प्रार्थी । दाणि ) दार सक [दारय्] विदारना, तोड़ना, चूर्ण दाणि अ [इदानीम्] इस समय, अभी। करना । दार पुं [दे] कटी-सूत्र, काँची । दाथ वि [द्वाःस्थ] द्वार पर स्थित । पुं. | दार पुन. महिला। प्रतीहार, द्वारपाल, चपरासी । दार न [द्वार] दरवाजा, निकलने का मार्ग । दादलिआ स्त्री [दे] अंगुली । ग्गला स्त्री [°ार्गला] दरवाजे का आगल । दापण न [दापन] दिलाना। टू, 'त्थ वि [°स्थ] द्वार पर स्थित । पुं. दाम न [दामन्] माला । रस्सी । पुं. वेलन्धर | दरवान । °पाल, °वाल पुं [°पाल] द्वारनागराज का एक आवास-पर्वत । °वंत वि रक्षक । °वालय, वालिय पुं. [°पालक, [वत्] मालावाला। पालिक] प्रतीहार । दामट्टि पु [दामस्थि] सौधर्म देवलोक के इन्द्र | दार । [दारक] बच्चा । देखो दारय । के वृषभ-सैन्य का अधिपति देव । दारग ) दामड्ढि पुं [दाद्धि] ऊपर देखो । दारद्धता स्त्री दे] पेटी । दामण न [दामन] बन्धन, पशुओं का रस्सी | दारय वि [दारक] करनेवाला, विध्वंसक । से नियन्त्रण । देखो दारग। दामण स्त्रीन [दामनी] पशु को बांधने की | दारिअ वि [दारित] विदारित, फाड़ा हुआ । डोरी- रस्सी, पगहा। दारिआ स्त्री [दारिका] लड़की । दामणा स्त्री [दे] प्रसूति । आँख । दारिआ स्त्री [दे] वेश्या । दामणी स्त्री [दामनी] पशुओं को बांधने की | दारिद्द न [दारिद्र्य] निर्धनता । दीनता। रस्सी । भगवान् कुन्थुनाथ की मुख्य शिष्या। आलस्य । स्त्री और पुरुष का रज्जु के आकारवाला एक दारु न. काष्ठ । 'ग्गाम पु [ग्राम] ग्रामशुभ-लक्षण । विशेष । °दंडय पुंन [दण्डक] काष्ठ-दण्ड, दामिय वि [दामित] संयमित, नियन्त्रित । साधुओं का एक उपकरण । °पव्वय पुं दामिली स्त्री [द्राविडी] द्रविड़ देश की लिपि । [°पर्वत] पर्वत-विशेष । °पाय न [पात्र] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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