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________________ ४२४ तलसारिअ वि [] गालित । मुग्ध, मूर्ख । तलहट्ट सक [सिच्] सींचना । हट्टिया स्त्री [] पर्वत का मूल, तराई । तलाई स्त्री [तड़ागिका] छोटा तालाब । तलाग न [तड़ाग] तालाब, सरोवर । तलाय तलार पुं [दे] नगर-रक्षक | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष तलाक्ख पुं [ दे. तलारक्ष ] ऊपर देखो । तलाव देखो तलाग । तलिआ न [दे] जूता । तलिगा तलिण वि [ तलिन] प्रतल, सूक्ष्म, बारीक । तुच्छ, क्षुद्र | दुर्बल | तलिम पुंन [ दे] शय्या । कुट्टिम, फरस बन्द जमीन । घर के ऊपर की भूमि । वास भवन । भ्राष्ट्र, भूनने का बरतन । तलिमा स्त्री. वाद्य-विशेष | तलु देखो तरुण | तलेर [दे] देखो तला र । तल्ल न [ दे] पल्वल, छोटा तालाब । तृणविशेष, बरू | बिछौना । तव सक [ तापय् ] गरम करना । तव पुंन [ तपस् ] तपस्या । 'गच्छ पुं. जैन मुनियों की एक शाखा, गण-विशेष । गण पुं. पूर्वोक्त ही अर्थ । 'चरण, चरण न [ चरण] तपः करण । तप का फल, स्वर्ग का भोग | 'चरणि वि [ 'चरणिन् ] तपस्या Jain Education International तलसारिअ - तव्वन्निग करनेवाला | देखो तवो' । तव देखो थव । तव देखो थुण । तवग्ग पुं [तवर्ग ] 'त' से लेकर 'न' तक पाँच अक्षर । पविभत्ति न [ प्रविभक्ति ] नाट्य- विशेष | सूरज । तवण पुं [ तपन ] प्रधान सुभट । न. शिखर - विशेष । तवय वि [ दे] व्यापृत, किसी कार्य में लगा हुआ । तवय पुं [तपक] तवा, भूनने का भाजन । तवसि [ तपस्विन् ] तपस्या करनेवाला । पं. साधु, मुनि, ऋषि । तल्लक पुं. सुरा - विशेष । तवस्सि तल्लड न [ दे] बिछौना । तविअ वि [ तापित ] गरम किया हुआ । संतापित । तलिच्छवि [दे] तत्पर, तल्लीन । तल्लेस वि [ तल्लेश्य ] तल्लीन, तदातल्लेस्स } विअवि [तपित] तीसरी नरक-भूमि का एक सक्त । नरक स्थान । तल्लोविल्लि स्त्री [दे] तड़फना, व्याकुल तविआ स्त्री [तापिका ] तवा का हाथा । होना । देखो त । तव अक [तप्] गरम होना । सक. तपश्चर्या तवो देखो तओ । करना । रावण का एक तवण पुं [ तपन ] तीसरी नरक - भूमि का एक नरक -स्थान । 'तणया स्त्री ['तनया ] तापी नदी । तवणा स्त्री [ तपना ] आतापना । तवणिज्जन [ तपनीय] सुवर्ण । तवणिज्ज पुंन [ तपनीय] एक देव - विमान | तवणी स्त्री [ दे] भक्ष्य भक्षण योग्य कण आदि । धान्य को खेत से काटकर भक्षण- योग्य बनाने की क्रिया । तवा | For Private & Personal Use Only तवो° देखो तव = तवस् | 'कम्म न [कर्मन् ] तपः करण | धण पुं [°धन ] ऋषि, मुनि । धर पुं. तपस्वी, मुनि । 'वण न [ 'वन ] ऋषि का आश्रम । तव्वणिय वि [दे] बौद्ध, बुद्ध दर्शन का अनुयायो । तव्वन्निग वि [ दे. तृतीयवर्णिक ] तृतीय आश्रम www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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