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________________ णेगम-णेवाइय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णेगम पुं[नैगम] वस्तु के एक अंश को स्वीका- कदाचित्क । निमित्तशात्र का जानकार । न. रनेवाला पक्ष-विशेष, नय-विशेष । वणिक् । निमित्तशास्त्र । न. व्यापार का स्थान । णेमी स्त्री [नेमी] चक्र-धारा । गुण्ण न [नैर्गुण्य] निर्गुणता, निःसारता । । | णेम्म वि [दे. निभ] सदृश । णेचइय पुं [नैचयिक] धान्य आदि का थोक- जेम्म देखो गेम = नेम । बन्द व्यापारी। णेरइअ वि [नैरयिक] नरक-सम्बन्धी, नरक णेच्छड वि निश्चयिका निश्चयनयसम्मत. में उत्पन्न । पुं. नरक का जीव, नरक में निरुपचरित, शुद्ध । उत्पन्न प्राणी। णेच्छंत वि [नेच्छत्] नहीं चाहता हुआ। णेरइअ वि [नैऋतिक] नैऋत कोण । णेच्छिय वि [नैच्छित] अनभिलषित । रई स्त्री [नैऋती] दक्षिण और पश्चिम के णेटिअ वि [नैष्ठिक] पर्यन्त-वर्ती । बीच की दिशा। णेड देखो णिड्ड। णेरुत्त न [नैरुक्त] व्युत्पत्ति के अनुसार अर्थ णेडाली स्त्री [दे] सिर का भूषण-विशेष । का वाचक शब्द । वि. निरुक्त शास्त्र का णेड्ड देखो णिड्ड। जानकार । णेड्ढरिआ स्त्री [दे] भाद्रपद मास की शुक्ल णेरुत्तिय वि [नरुक्तिक] व्युत्पत्ति-निष्पन्न । दशमी का एक उत्सव । णेरुत्ती स्त्री [नरुक्ति] व्युत्पत्ति । णेत्त पुंन नेत्र] आँख । णेल वि [नैल] नील का विकार । णेत्त पुं नेत्र] वृक्ष-विशेष । णेलंछण देखो णिल्लंछण । णेद्दा देखो णिद्दा। णेलच्छ पुं [दे] नपुंसक । बैल । णेपाल देखो णेवाल। णेलय पुंदे. नेलन] रुपया। णेम स [नेम] आधा । न. मूल, जड़ । णेलिच्छी स्त्री [दे] कूपतुला, ढेकवा । णेम न [दे] कार्य। णेल्लच्छ देखो णेलच्छ । णेम पुन [दे] काम । णेव देखो णेअ = नैव । णेम देखो णेम्म = दे। णेवच्छ देखो णेवत्थ। णेमाल पुं. ब. [नेपाल] एक भारतीय देश, णेवच्छण न [दे] अवतारण, नीचे उतारना । नेपाल। वच्छिय देखो णेवत्थिय । णेमि पुं [नेमि] एक जिनदेव, बाईसवें तीर्थ- णवत्थ न [नेपथ्य] वस्त्र आदि की रचना, कर। चक्र की धारा । चक्र की परिधि । वेष की सजावट, नाटक आदि में परदे के आचार्य हेमचन्द्र के मातुल का नाम । °चंद भीतर का स्थान जिसमें नट-नटी नाना प्रकार पुं[°चन्द्र] एक जैनाचार्य । का वेश सजाते हैं, नाट्यशाला । वेष । मित्त देखो णिमित्त। णेवत्थण न [दे] निरुञ्छन, उत्तरीय वस्त्र का मित्ति वि [निमित्तिन्] निमित्त-शास्त्र का | अञ्चल। जानकार । | णेवत्थिय वि [नेपथ्यित] जिसने वेष-भूषा की णेमित्तिअ । वि [नैमित्तिक] निमित्तशास्त्र | हो वह । णेमित्तिग ) से सम्बन्ध रखनेवाला । कारणिक, | णेवाइय वि [नैपातिक] निपात-निष्पन्न नाम, निमित्त से होनेवाला, कारण से किया जाता, अव्यय आदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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