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________________ ३८६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णिक्कंतु-णिक्खविअ निकलना। |णिक्कारण वि [निष्कारण] कारण-रहित । णिक्कंतु वि [निष्क्रमित] बाहर निकलनेवाला। निरुपद्रव । णिक्कंद सक [नि + कन्द] उन्मूलन करना। णिक्कारणिय वि [निष्कारणिक हेतु-शन्य । णिक्कंप वि [निष्कम्प] कम्प-रहित, स्थिर। णिक्कारिम वि [निष्कारण] विना कारण । णिक्कज्ज वि [दे] अनवस्थित, चंचल ।। णिक्काल सक [निर् + कासय् ] बाहर णिक्कट्ठ वि [निष्कृष्ट] कृश, क्षीण। निकालना। णिक्कड वि [दे] कठिन । पुं. निश्चय, निर्णय । । णिक्कास पुं [निष्कास] नीकास, बाहर णिक्कढिय वि [निष्कृष्ट, निष्कर्षित] बाहर | निकालना। खींचा हुआ, बाहर निकाला हुआ। णिक्किचण वि [निष्किञ्चन] निर्धन, धन रहित । णिक्कण वि [निष्कण] धान्य-कण-रहित, णिक्किट्ठ वि [निकृष्ट] अधम, हीन । अत्यन्त गरीब । णिक्किण सक [निर् + क्री] खरीदना । णिक्कम अक [निर् + क्रम्] बाहर निकलना । दीक्षा लेना, संन्यास लेना। णिक्कित्तिम वि [निष्कृत्रिम] असली, स्वाणिक्कमण न [निष्क्रमण] बाहर निकलना । भाविक । संन्यास । णिक्किय वि [निष्क्रिय क्रिया-रहित । णिक्कम्म वि [निष्कर्मन्] कर्मरहित, मुक्त । णिक्किव वि [निष्कृिप] कृपा-रहित, निर्दय । निकम्मा । मोक्ष । संवर, कर्मों का निरोध । | णिक्कीलिय वि [निष्क्रीडित] गमन, गति । णिक्कय पुं [निष्क्रय] बदला, उऋणपन । वेतन, णिक्कुड पुं [निष्क्रुट] तापन, तपाना । मजूरी। णिक्कूइल स्त्री [दे] जीता हुआ, विनिजित । णिक्करण न [निकरण] तिरस्कार । परिभव । | णिक्कोडण न [निष्कोटन] बन्धन-विशेष । विनाश । णिक्कोर सक [निर् + कोरय] दूर करना । णिक्करुण वि [निष्करुण] करुणा-रहित । पात्र वगैरह के मुंह का बन्द करना। पात्र णिक्कल वि [निष्कल] कला-रहित । आदि का तक्षण करना । णिक्कल वि [दे] पोलापन से रहित ।। णिक्ख पुं [दे] चोर । सुवर्ण । णिक्कलंक वि [निष्कलङ्क] कलंक-रहित । णिक्ख पुन [निष्क] दीनार, मोहर, मुद्रा, णिक्कलुण देखो णिक्करुण । अशर्फी, रुपया। णिक्कलुस वि [निष्कलुष] निर्दोष, निर्मल । णिक्खंत देखो णिक्कत। उपद्रव-रहित । णिक्खंध वि [निःस्कन्ध] स्कन्ध-रहित, डालीणिक्कवड वि [निष्कपट कपट-रहित । रहित । णिक्कवय वि [निष्कवच] वर्मवजित ।। णिक्खणण न [निखनन] गाड़ना। णिक्कस अक [निर + कस्] बाहर निकलना। णिक्खत्त वि [निःक्षत्र] क्षत्रिय-रहित । सक निकासना, बाहर निकालना। णिक्खम अक [निर्+क्रम्] बाहर निकलना। णिक्कसाय वि [निष्कपाय] कषाय-रहित । | दीक्षा लेना, संन्यास लेना। पु. भरत-क्षेत्र के एक भावी तीर्थंकर-देव । णिक्खय वि [निखात] गाड़ा हुआ। णिक्का स्त्री [नीका] वाम-नासिका। णिक्खय वि [दे. निक्षत] निहत, मारा हुआ। णिक्काम वि [निष्काम] अभिलाषा-रहित । 'णिक्खविअ वि [निक्षपित] विनाशित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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