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________________ ढंक-ढुक्क संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ३६९ उपासक । वगैरह पीने की आवाज । ढंक देखो ढक्क। ढज्ज़त देखो डझंत। ढंकण न [दे. छादन] पिधान । ढड्ढ [दे] भेरी। ढंकण देखो ढिंकुण। ढड्ढर पुं [दे] राहु । ढंकणी स्त्री [दे. छादनी] ढकने का पात्र- | ढड्ढर पुं [दे] बड़ी आवाज । न. गुरु-वन्दन का विशेष । एक दोष, बड़े स्वर से प्रणाम करना । वि. वृद्ध । ढंकुण पुं [दे] खटमल । ढणिय वि [ध्वनित] शब्दित । ढंकुण पुं [ढङ्कण] वाद्य-विशेष । ढमर न [दे] पिठर, स्थाली या थाली । गरम ढंख देखो ढंक = (दे)। पानी। ढंखर पुंन [दे] फल-पत्र से रहित डाल । ढयर पुं[दे] पिशाच । ईर्ष्या । ढंखरअ [दे] ढेला। ढल अक [दे] टपकना, गिरना। झुकना। ढंखरी स्त्री दे] वीणा-विशेष । स्खलित होना। ढंढ पुंदे] कीच । वि. निरर्थक । ढलहलय वि [दे] मृदु, कोमल । ढंढ पुं [ढण्ढण] ढण्ढण ऋषि । ढाल सक [दे] ढालना, नीचे गिराना । झुकाना, ढंढ वि [दे] दाम्भिक, कपटी । चामर वगैरह का वीजना। ढंढण पुं [ढण्ढन] एक जैन मुनि । ढालिअ वि [दे] नीचे गिराया हुआ । ढंढणी स्त्री [दे] केवांच, वृक्ष-विशेष । ढाव पुं दे] आग्रह, निर्बन्ध । ढंढर पुं [दे] पिशाच । ईर्ष्या । ढिंक पुं [ढिङ्क] पक्षि-विशेष । ढंढरिअ पुंदे] पंक। ढिंकण । पुं [दे] क्षुद्र जन्तु विशेष, गौ आदि ढंढल्ल सक [भ्रम्] घूमना, भ्रमण करना । ढिकुण ) को लगनेवाला कीट-विशेष । ढंढसिअ पुं[दे] ग्राम का यक्ष । गाँव का वृक्ष । । ढिंकलीआ स्त्री [दे] पात्र विशेष । ढंढुल्ल देखो ढंढल्ल। ढिंग देखो ढिंक। ढंढोल सक [गवेषय] खोजना। ढिंढय वि [दे] जल में पतित । ढंढोल्ल देखो ढुंढुल्ल। ढिक्क अक [ गर्ज ] साँड़ का गरजना । ढंस अक [वि + वृत्] धसना, गिर पड़ना। ढिक्कय न [दे] हमेशा। ढंसय न [दे] अपकीर्ति । ढिक्किय न [गर्जन] साँड़ की गर्जना। ढक्क सक [छादय] आच्छादन करना, बन्द ढिडिढस न [ढिड्ढिस] देव-विमान-विशेष । करना। ढिल्ल वि [दे] शिथिल । ढक्क पुं. देश-विशेष । देश-विशेष में रहनेवाली ढिल्ली स्त्री. दिल्ली शहर । °नाह पुं [°नाथ] एक जाति । भाट की एक जाति । दिल्ली का राजा। ढक्कय न [दे] तिलक । ढुंढुल्ल सक [भ्रम् ] घूमना। ढक्करि वि [दे] अद्भुत । ढुंढुल्ल सक [गवेषय] ढूंढ़ना, अन्वेषण करना। ढक्कवत्थुल देखो ढंक-वत्थुल । ढुक्क सक [ढौक् ] भेंट करना, अर्पण करना । ढक्का स्त्री. वाद्य-विशेष, डंका, नगाड़ा, डमरू । उपस्थित करना। अक. लगना, प्रवृत्ति ढक्किअ न [दे] बैल की गर्जना । करना । मिलना। ढग्गढग्गा स्त्री [दे] 'ढग-ढग' आवाज, पानी । ढुक्क सक [प्र + विश] प्रवेश करना । ४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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